कोलकाता: मोहब्बत के कई दुश्मन मेरे घर बार बैठे हैं, गवाहों के कई जालिम यहां हथियार बैठे हैं। ये प्यार के कातिल कभी कम हो नहीं सकते, मेरी उम्मीद से ज्यादा कई पहरेदार बैठे हैं। ये पंक्ति इस कहानी पर सटिक बैठती है। ये कहानी है ऑनर किलिंग की। एक मां के प्यार में विश्वासघात की।
इस किस्से की शुरुआत होती है नवंबर, 1994 से... जब सर्दियों के मौसम में पंजाब के लुधियाना के एक गांव जाने के लिए सुखविंदर जिसे लोग प्यार से मिट्ठू कहते थे। वो अपने घर जाने के लिए दोस्त के साथ जगरांव के कमल चौक टेम्पो स्टैंड पर खड़ा था। तभी उसने दूर से आती एक बला की खूबसूरत लड़की को देखा, जिसका रंग गोरा, बड़ी-बड़ी आंखें और लंबा कद था। उस लड़की का नाम था, जसविंदर कौर उर्फ जस्सी। दोनों की उम्र तकरीबन 16 से 20 के आसपास की होगी।
जस्सी कनाडा से अपनी ननिहाल आई थी। उसके साथ उसकी मां मलकीत और मामी थीं। जस्सी अपनी मां और मामी के साथ भूंड में जाकर बैठ गई। भूंड पंजाब में चलने वाले लंबे ऑटो होते हैं जो टुक-टुक जैसे दिखते हैं। मिट्ठू और उसका दोस्त भी उसी भूंड के पीछे लटक गए। उस दिन मिट्ठू अपने दोस्त के साथ एक कबड्डी मैच खेलकर वापस लौट रहा था। वैसे दोनों के आंखे चार तो उसी ऑटो में हो गए थे। कबड्डी खिलाड़ी मिठ्ठू एक साधारण परिवार का लड़का था, जबकि जस्सी एक प्रभावशाली परिवार की बेटी थी। जस्सी को देखने के बाद मिट्ठू रह नहीं सका और अगले दिन जब जस्सी की फैमिली शॉपिंग करने गई, वहां एक बार फिर से जस्सी से मिट्ठू की मुलाकात हुई, जहां दोनों एक-दूसरे को देख मुस्कुराए लेकिन कुछ बोल नहीं पाएं। यहीं से शुरू होती है उनके प्रेम की कहानी।
पंजाब के प्यार और हत्या की कहानी
वैसे कई इंटरव्यू रिपोर्ट में मिट्ठू ने अपने लव स्टोरी की कहानी सुनाते हुए ये बताया है कि जस्सी के ननिहाल वाले घर की आलीशान कोठी का पिछला दरवाजा उसके दो कमरों के कच्चे मकान की तरफ खुलता था। तब कनाडा में पली-बढ़ी, आजाद ख्यालों वाली जस्सी पंजाब के कायदों से अनजान, खुद स्कूटर चलाकर गांवों में घूमा करती थी। इसी दौरान उसकी मुलाकात मेरे घर के दरवाजे पर होती है, जहां मैं हिम्मत जुटाकर उससे बात धीरे से बोला- मैं गल्ल करनी मंगदा... (मैं बात करना चाहता हूं)। जवाब में उसने ‘हां’ कहा। वहीं जाते-जाते वो अगले दिन मिलने का वादा कर जाती है।
इस पर मिट्ठू के दोस्त उसे चिढ़ाते हैं और कहते हैं कि यारा तू ये मैच तो एक ही पैंतरे में जीत गया। पैतरे का शब्द यहां कबड्डी है क्योंकि सुखविंदर उर्फ मिठ्ठू एक कबड्डी प्लेयर था। कहते हैं इसी दौरान जस्सी ने सामने से आकर चुपके से मिट्ठू को एक पर्ची थमा देती है। फिर वो अपने आलीशान कोठी की ओर भाग जाती है। जब मिट्ठू ये पर्ची खोलता है तो उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहता है क्योंकि उसमें लिखा होता है 'आई लव यू'।
चुप-चुपकर प्यार का सिलसिला चल पड़ा
इसके बाद से दोनों लोग चुप-चुपकर गांव के खेत-खलियानों में मिलने लगे थे लेकिन वो घर जस्सी का ननिहाल था। अब जैसे-जैसे जस्सी को वापस कनाडा जाने का दिन करीब आ रहा था, मिट्ठू उदास होता जा रहा था। इस दौरान जस्सी ने अपना पासपोर्ट फाड़ दिया, लेकिन जस्सी के मामा की पहचान बड़े लोगों तक थी। इसलिए उसका पासपोर्ट हफ्ते-15 दिन में बनकर आ गया और फिर जस्सी को बेमन से मां के साथ कनाडा वापस लौटना पड़ा। जस्सी पढ़ने में होशियार थी। उसका सपना था कनाडा में वकील बनने का। लेकिन, उसकी इच्छा थी कि वो मिट्ठू से शादी करके कनाडा या भारत में ही कही अलग घर लेकर जिंदगी बिताए।
यहां पर आपको बताता चलूं कि जो मिट्ठू था उसकी अंग्रेजी बहुत ही खराब थी, जबकि दूसरी तरफ जस्सी की पंजाबी उतनी अच्छी थी, जितना की मिट्ठू की अंग्रेजी। जब जस्सी कनाडा जाने लगी तो गांव के ही एक पीसीओ का नंबर लेकर गई। जहां दोनों के कॉल करने का दिन और समय फिक्स था। दोनों के बीच फोन और चिठ्ठियों का लंबा सिलसिला भी चला। जस्सी अंग्रेजी में लिखती थी। मिट्ठू को अंग्रेजी कम आती थी। इसलिए वह अपने दोस्तों से चिट्ठियां पढ़वाता था। चिट्ठियों और टेलीफोन के जरिए दोनों का प्यार परवान चढ़ता गया।
5 साल ऐसे ही बीत गए
हर साल कुछ वक्त के लिए जस्सी अपनी नानी के घर आती, तब दोनों की मुलाकात होती फिर दोनों चुप-चुपकर खूब मिलते। ऐसे ही करते-करते मिट्ठू और जस्सी के प्यार को 5 साल हो गए थे। अब वक्त आया साल 1999, एक दिन जस्सी और मिट्ठू शादी कर लेते हैं। अब यहां मैं आपको शादी से पहले का थोड़ा घटनाक्रम बताता हूं... होता ये है कि जब जस्सी हर साल की तरह इस साल भी आती है तो लेकिन माहौल थोड़ा बदला-बदला सा होता है। जस्सी के घर वाले उसके लिए लड़का ढूंढ रहे होते हैं लेकिन शादी से इंकार नहीं कर पा रही थी।
वहीं जस्सी खुलकर यह नहीं पा रही थी कि वो मिट्ठू से प्यार करती है। क्योंकि मिट्ठू एक मिडिल क्लास वाला हैसियत का लड़का, जिसे उसके घर वाले स्वीकार नहीं करेंगे। इसलिए जस्सी ने मिट्ठू के साथ रिश्ते को पुख्ता बनाने के लिए जोखिम उठाया। वो इस बार इंडिया आते ही मिट्ठू से शादी करने को कहती है। कुछ बात तो मिट्ठू भी समझ रहा था लेकिन जस्सी की इन बातों ने उसे चौंका दिया था।
मिट्ठू कहता है कि मैं तुम्हारी मां से बात करता हूं? तो जस्सी कहती है कि नहीं मिट्ठू, तुम नहीं जानते मेरी मां को, मैं जानती हूं। मेरा मामा जो कहता है, वो सिर्फ वही करती है। मेरा मामा बहुत ज़ालिम किस्म का आदमी है, वो मुझे किसी और के पल्ले बांध देने की फिराक में हैं क्योंकि उनके लिए ये शादी विवाह बस एक बिजनेस की तरह है। बड़ा खानदान, बड़ी दौलत, ताकत... हमें शादी करनी ही होगी। तुम बताओ कि तुम्हें मुझसे शादी करनी है या नहीं? इसके बाद दोनों ने अमृतसर के बाबा बकाला गुरुद्वारे में शादी कर ली। वहीं जस्सी ने कहा कि वो कनाडा जाकर सही समय देखकर सबको सच्चाई बता देगी। किसी तरह वो अपनी मां को भी समझा लेगी, तब तक इस शादी को राज ही रखना होगा।
शादी बाद कनाडा चली जाती है जस्सी
उधर जस्सी जब कनाडा जाती है तो उसकी मां मलकीत और मामा बादेशा, एक बड़े खानदान उसकी शादी करवाना चाहते थे, तब जस्सी ने विरोध किया, मां उसकी एक भी बात सुनने को राजी न हुई। तभी जस्सी ने अपनी शादी के बारे में सबकुछ बता दिया। हालांकि, कुछ रिपोर्ट में ये भी लिखा गया है कि उसके मामा को पिंड के लोगों से जस्सी और मिट्ठू के रिश्ते के बारे में पता चल गया था। उसी ने जस्सी की मां को ये बताया था कि जस्सी ने ये कांड किया है। बस फिर क्या था जस्सी के बुरे दिन आ गए। जस्सी के साथ मारपीट होने लगी, उसे घर में कैद कर दिया गया। इसके जस्सी का मामा बादेशा की सलाह पर जबरन एक उम्रदराज आदमी से उसकी शादी करवाने का फैसला लिया गया। जस्सी बार-बार गिड़गिड़ाती रही, लेकिन उसकी बात कोई सुनने वाला नहीं था।
कोर्ट के चक्कर में फंस जाता है मिट्ठू
इधर जस्सी के मामा ने अपने रसूख के दम पर मिट्ठू पर केस कर दिया। कहा गया कि उसने जस्सी का अपहरण कर जबरदस्ती शादी की है। वहीं जस्सी किसी तरह भारत आ गई और मिट्ठू के फेवर में बयान दिया। जस्सी ने कोर्ट में कहा कि हम दोनों की उम्र 24-25 साल है। हमने अपनी मर्जी से शादी की है और मर्जी से शादी गुनाह नहीं होती। कोर्ट ने मिट्ठू और उसके दोस्तों को बरी कर दिया। इसके बाद दोनों गांव छोड़कर चले गए और साथ रहने लगे। लेकिन बच के कैसे निकलते, जस्सी के मामा की नजर दोनों पर लगातार बनी हुई थी। कहते हैं कि जस्सी अपने मामा और मां के नजर से बचने के चक्कर में कभी शिमला, कभी जयपुर भागते रहे। जब हर जगह वो पकड़े जाते तो अंत में मिट्ठू के घरवालों ने दोनों को पंजाब के एक शहर मलेरकोटला के पास नारिके गांव भेज दिया। जहां दोनों छुपकर रहने लगे थे।
इसी बाच एक दिन जब मिट्ठू और जस्सी कही बाहर से घूमकर अपने गांव नारिके आ रहा था तभी देखा कि गांव के नाले के पास एक गाड़ी खड़ी है। मिट्ठू ने स्कूटर धीमे किया और ये देखने के लिए कि सब कुछ ठीक तो है। उसी समय गाड़ी के पीछे से दो लोग निकल कर उनके स्कूटर पर झपट पड़े। उनके हाथों में तलवारें थीं और उन्होंने मिट्ठू पर तलवार से हमला कर दिया। मिट्ठू वहीं बेहोश होकर गिर गया, जबकि जस्सी अंग्रेजी में चिल्ला रही थी, ‘कोई मदद करो, कोई मदद करो। मेरे मिट्ठू को कोई मार रहा है। मिट्ठू वहां खून से लथपथ पड़ा रहा और वो लोग जो कार से उतरे थे वे जस्सी को लेकर चले जाते हैं। इसी बीच गांव के करीब रहने वाले दो मजदूर वहां से गुजर रहे होते है, मिट्ठू को खून से लथपथ देखा तो हॉस्पिटल लेकर गए। जहां 15 दिन बाद उसे होश आया तो उसने जस्सी को सबसे पहले जस्सी को खोजा, जो उसके पास नहीं थी।
जस्सी-मिट्ठू की कहानी का ‘काला अध्याय’
यहां पर मैं आपको इस कहानी का काला अध्याय बताता हूं... कि कैसे ये पूरी प्लानिंग की गई और क्यों? जब एक रईस खानदान की बेटी एक गांव के लड़के से शादी करती है तो ये बात उसकी मां और मामा को नहीं पचती है। मां मलकीत कौर और मामा ने ठान लिया था कि इस लड़के मिट्ठू को रास्ते से हटा देना है और बेटी की शादी कहीं और करवा देनी है। इसलिए मलकीत ने कनाडा में रहकर अपने कॉन्टेक्ट का इस्तेमाल किया। पैसा पानी की तरह बहाया और मिट्ठू की हत्या की साजिश रची। इसके लिए पंजाब पुलिस में दारोगा जोगिंदर की मदद से सुपारी किलर हायर किए।
7 जून, 2000 को कनाडा से मलकीत ने किसी तरह जस्सी से फोन पर बात की। एक मां जो अपनी बेटी से फोन पर बोली- बेटा, कोई बात नहीं अब तेरी खुशी में मेरी खुशी है। तुमने अपने मन से शादी की है अब हमारी भी लाज रख लोग, हमारी भी बात सुन लो। बहुत अरमान थे मेरे, तुम्हारी शादी को लेकर। मैं गांव आ रही हूं। मैं सबको समझाउंगी। तुम दोनों की शादी धूमधाम से करुंगी। तुम अब आ जाओ। लेकिन, इस मां की बातों में प्यार तो ऊपर से दिखावा था, अंदर से तो बदले की आग थी। इसके बाद दोनों को ढूंढा गया और फिर मामले को अंजाम दिया गया। ये सब उसकी मां की चाल थी कि इससे मिट्ठू और जस्सी को लोकेशन का पता लगाया जा सके।
ऐसे मिट्ठू और जस्सी को फंसाया
जब मामले पर केस मुकदमा हुआ और साल दर साल केस चले। रिपोर्ट के मुताबिक दोषियों ने कबूला कि सुपारी किलर की मदद से मिट्ठू को मारने के बाद जस्सी की मां को फोन किया गया कि प्लान सफल रहा। लेकिन, जस्सी अपने पति के मरने से टूट चुकी थी। फोन पर मां मलकीत बोलती है कि अब तुम आ जाओ। जो हो गया सो हो गया। तुमने एक गलती की और मैंने उसे सुधार दिया। अब सब कुछ पहले जैसा है। जस्सी शोक में थी और जोर से चीखकर अपनी मां से कहती है कि आपने धोखा दिया है। मैं पुलिस, मीडिया सबको तुम्हारी सच्चाई बता दूंगी। सबको सच बताऊंगी कि कैसे तुमने हमें मिट्ठू को मारा है।
इसके बाद जस्सी की मां और मामा ने हत्यारों से कहा कि इसे भी खामोश करा दो। तब बदमाशों ने जस्सी का भी गला रेत दिया। कबूलनामे के मुताबिक मिट्ठू को मारने के लिए सात लाख रुपये के लेन-देन की बात हुई थी। वहीं जस्सी को मारने के सात लाख रुपए इन हत्यारों ने अलग से लिए थे।
मिट्ठू 15-20 दिन बाद होश में आया
वो कहते हैं ना कि जाखो राखे साईंया मार सके ना कोई... कत्ल, जांच और इंसाफ की लंबी लड़ाई के लिए मिठ्ठू हमले के बाद भी मरा नहीं। कई दिन तक जिंदगी और मौत से जूझता रहा। उसने ही जस्सी की लाश की शिनाख्त की और सारा भेद खोला। इस मामले में जस्सी की मां मलकीत और मामा समेत 13 लोगों पर आरोप लगाए गए। तीन लोगों को आजीवन कारावास की सजा हुई। 2012 में मामा और मां को कनाडा में गिरफ्तार किया गया और जब जनवरी, 2019 में कनाडा से दोनों को प्रत्यर्पित कर भारत लाया गया और मामला आगे बढ़ा।