राहुल ने पिछले सत्र के बोझ को पीछे छोड़ दिया है : पुजारा

पिछले सत्र के निराशाजनक प्रदर्शन से आगे बढ़ चुके हैं
पुजारा
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नयी दिल्ली : दिग्गज बल्लेबाज चेतेश्वर पुजारा को लगता है कि लोकेश राहुल लखनऊ सुपर जाइंट्स (एलएसजी) में पिछले सत्र के निराशाजनक प्रदर्शन से आगे बढ़ चुके हैं और मानसिकता में बदलाव से ना केवल उन्हें अपनी नई आईपीएल फ्रेंचाइजी में बेहतर प्रदर्शन करने में मदद मिली है बल्कि इससे वह भारतीय टीम के लिए भी मजबूत खिलाड़ी बनेंगे। राहुल ने मंगलवार को सत्र का तीसरा अर्द्धशतक जड़ा और लखनऊ में अपनी पूर्व फ्रेंचाइजी सुपर जाइंट्स के खिलाफ अपनी नई टीम दिल्ली कैपिटल्स को आठ विकेट से शानदार जीत दिलाई।

पुजारा ने कहा, ‘बस आगे बढ़ो, अतीत का बोझ मत उठाओ। और यह अच्छी बात है। राहुल एक परिपक्व खिलाड़ी है। पिछले कुछ वर्षों से वह सभी प्रारूपों में अच्छी बल्लेबाजी कर रहा है।’ उन्होंने कहा, ‘वह अतीत के बारे में नहीं सोचना चाहता और अपनी बल्लेबाजी का आनंद लेना चाहता है। वह इसके बारे में नहीं सोचता कि जब वह एलएसजी टीम के लिए खेल रहा था तो क्या गलत हुआ था।’

पुजारा ने कहा, ‘आगे बढ़ना अच्छा है जो उसे दिल्ली कैपिटल्स और यहां तक कि भारतीय टीम के लिए भी अच्छा खेलने में मदद करेगा। क्योंकि पिछले कुछ समय में वह ऐसा खिलाड़ी है कि उसकी बल्लेबाजी को देखते हुए भारतीय टीम भी उस पर भरोसा करती है।’ राहुल की कप्तानी में एलएसजी 2022 और 2023 सत्र में प्ले ऑफ में पहुंच गया था। हालांकि पिछले सत्र में लखनऊ की टीम सातवें स्थान पर रही थी।

पिछले साल एलएसजी के मालिक संजीव गोयनका के साथ राहुल के रिश्ते भी खराब हो गए थे। सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो में गोयनका को हार के बाद लखनऊ के पूर्व कप्तान को सार्वजनिक रूप से फटकार लगाते देखा गया था। कुछ महीने बाद 33 वर्षीय खिलाड़ी को बड़ी नीलामी से पहले फ्रेंचाइजी ने रिलीज (अपने साथ बरकरार नहीं रखना) कर दिया था। दिल्ली कैपिटल्स के लिए यह विकेटकीपर बल्लेबाज लगातार अच्छा प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों में शामिल है और मौजूदा सत्र में सात पारियों में 323 रन बनाकर शीर्ष रन स्कोरर के रूप में उभरा है।

इंग्लैंड के पूर्व सलामी बल्लेबाज निक नाइट ने कहा कि कप्तानी की जिम्मेदारी नहीं होने से राहुल को खुलकर बल्लेबाजी करने में मदद मिल रही है। नाइट ने कहा, ‘कप्तानी आपके साथ अजीब चीजें कर सकती है - कभी-कभी आपको इससे बहुत फायदा होता है, कभी-कभी यह बोझ बन जाती है। क्या कप्तान नहीं होने का कोई प्रभाव पड़ा है, बस स्वतंत्र होने और मैच की स्थिति के अनुसार खेलने में सक्षम होने का।’

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