500 रुपये का स्कूल बैग ,5,000 रुपये का लक्जरी बैग दोनों 18 प्रतिशत जीएसटी के दायरे में

स्कूल बैग पर भी कीमत आधारित जीएसटी ढांचा लागू करना चाहिए
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नयी दिल्ली : ऑल इंडिया स्कूल बैग एसोसिएशन ने कहा कि सरकार का शैक्षणिक उत्पादों का कर मुक्त करने का कदम स्वागतयोग्य है लेकिन स्कूल के बस्ते (बैग) पर 18 प्रतिशत जीएसटी को घटाने से छोटे कारोबारियों को काफी राहत मिल सकती थी।ऑल इंडिया स्कूल बैग एसोसिएशन में 15 से अधिक राज्यों के बैग निर्माता, थोक विक्रेता, खुदरा विक्रेता और कच्चा माल प्रदाता शामिल हैं। इसकी स्थापना राष्ट्रीय स्तर पर बैग उद्योग के हितों को एकजुट करने और उनका प्रतिनिधित्व करने के लिए की गई है।

क्या है मामला : माल एवं सेवा कर (जीएसटी) में बदलाव सोमवार से लागू हो गए। इसके तहत कॉपी, पेन, पेंसिल, मैप, चार्ट और ग्लोब जैसे शैक्षणिक उत्पादों को करमुक्त कर दिया गया है। इन वस्तुओं पर पहले 12 प्रतिशत जीएसटी लगता था, जिसे अब शून्य कर दिया गया है। दूसरी ओर स्कूल बैग पर जीएसटी की दर को 18 प्रतिशत पर बरकरार रखा गया है, जिसको लेकर कारोबारियों में नाराजगी है। ऑल इंडिया स्कूल बैग एसोसिएशन के संस्थापक देव कुमार त्यागी ने कहा, सरकार ने शिक्षा से जुड़ी वस्तुओं को कर मुक्त किया जिससे छोटे कारोबारियों और बच्चों को राहत देने का संदेश मिलता है। हालांकि, सरकार ने स्कूल बैग पर कर घटाने के लिए कोई कदम नहीं उठाया है। इससे छोटे कारोबारियों को नुकसान होगा। 500 रुपये का साधारण स्कूल बैग और हवाई अड्डे पर बिकने वाला 5,000 रुपये का लक्जरी बैग दोनों ही 18 प्रतिशत जीएसटी के दायरे में रखे गए हैं। यह तर्कसंगत नहीं लगता। सरकार को कपड़ो एवं जूते-चप्पल की तरह ही स्कूल बैग पर भी कीमत आधारित जीएसटी ढांचा लागू करना चाहिए। इसके तहत 2,000 रुपये तक के स्कूल बैग पर जीएसटी दर पांच प्रतिशत जबकि 2,000 रुपये से अधिक कीमत के बैग पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगाया जाए।

कर राहत मिलनी चाहिए : ऑल इंडिया स्कूल बैग एसोसिएशन के महासचिव उदयवीर सिंह ने कहा कि शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए केवल स्टेशनरी या शैक्षणिक उपकरणों पर ही कर कम करना पर्याप्त नहीं है। बच्चों की पढ़ाई का अहम हिस्सा होने के नाते स्कूल बैग पर भी कर राहत मिलनी चाहिए। सरकार ‘सबको शिक्षा’ और ‘सुलभ शिक्षा’ की बात करती है लेकिन स्कूल बैग पर 18 प्रतिशत का कर बोझ इस सोच के विपरीत नजर आता है।

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