

पटना : बिहार में विधानसभा चुनाव के पहले चरण में गुरुवार को 121 सीटों पर लगभग 65% मतदाताओं ने वोट डाले, जो राज्य के चुनावी इतिहास में अब तक का सबसे अधिक मतदान प्रतिशत है। इस ऐतिहासिक मतदान ने लगभग 20 वर्षों से सत्ता पर काबिज एनडीए और विपक्षी ‘इंडिया’ गठबंधन के बीच ‘सुशासन बनाम सबको नौकरी’ की जंग को निर्णायक मोड़ पर ला दिया है।
निर्वाचन आयोग ने अपने बयान में कहा, ‘बिहार के इतिहास में अब तक का सर्वाधिक 64.66 प्रतिशत मतदान हुआ और पूरे राज्य में मतदान शांतिपूर्ण एवं उत्सव जैसे माहौल में संपन्न हुआ।’ मुख्य निर्वाचन आयुक्त (CEC) ज्ञानेश कुमार ने गुरुवार को बिहार के मतदाताओं को विधानसभा चुनाव के पहले चरण में 1951 के बाद से हुए सबसे अधिक मतदान के लिए बधाई दी। कुमार ने कहा कि मतदाताओं ने बड़े उत्साह और जोश के साथ मतदान कर निर्वाचन आयोग में अपना पूर्ण विश्वास प्रकट किया है।
राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO) विनोद सिंह गुंजियाल ने बताया कि करीब 64.46 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया है, जो कि अभी तक का सर्वाधिक मतदान प्रतिशत है। आयोग के आंकड़ों के अनुसार, बिहार विधानसभा चुनाव के इतिहास में सबसे कम मतदान प्रतिशत वर्ष 1951-52 के विधानसभा चुनाव में 42.6 फीसदी दर्ज किया गया था। गुरुवार को पहले चरण में 18 जिलों के कुल 121 निर्वाचन क्षेत्रों में मतदान हुआ।
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इन नेताओं की किस्मत ईवीएम में कैद
मतदान के साथ ही 1314 उम्मीदवारों की किस्मत EVM में बंद हो गई। इनमें प्रमुख रूप से RJD नेता तेजस्वी यादव, तेज प्रताप यादव, और उपमुख्यमंत्री विजय सिन्हा, मैथिली ठाकुर सहित राज्य सरकार के 16 मंत्रियों का भविष्य शामिल है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार के 16 मंत्रियों में BJP से 11 और JDU से 5 मंत्री शामिल हैं।
BJP कोटे से सीवान से मंगल पांडे, बांकीपुर से नितिन नवीन, तारापुर से सम्राट चौधरी, लखीसराय से विजय कुमार सिन्हा, दरभंगा के जाले से जीवेश मिश्रा, दरभंगा शहरी से संजय सरावगी, कुढ़नी से केदार प्रसाद गुप्ता सहित 11 मंत्री चुनावी मैदान में हैं।
JDU कोटे के 5 मंत्रियों में विजय कुमार चौधरी (सराय रंजन), नालंदा से श्रवण कुमार, बहादुरपुर से मदन सहनी, कल्याणपुर से महेश्वर हजारी और सोनबरसा से रत्नेश सदा का नाम है।
राघोपुर सीट पर RJD नेता तेजस्वी यादव लगातार तीसरी बार मैदान में हैं। राघोपुर सीट से सटी महुआ सीट पर तेजस्वी के बड़े भाई और जनशक्ति जनता दल के संस्थापक तेज प्रताप यादव ताल ठोक रहे हैं।
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बिहार में मतदान के आकड़ों के इतिहास पर एक नज़र
1985 में 56.27, 1990 में 62.04 और 1995 में 61.79 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया। वर्ष 2000 में सबसे अधिक 62.57 फीसदी मतदान दर्ज हुआ, जो अब तक का रिकॉर्ड था। वर्ष 2005 में दो बार हुए विधानसभा चुनावों में फरवरी और अक्टूबर में क्रमशः 46.5 और 45.85 प्रतिशत मतदान हुए। 2010 में मतदान 52.73 प्रतिशत रहा, जबकि 2015 में यह बढ़कर 56.91 और 2020 में 57.29 प्रतिशत दर्ज किया गया। कोविड-19 महामारी के साये में हुए 2020 के विधानसभा चुनावों में मतदान प्रतिशत 57.29 रहा था।
1957 में 43.24 % मतदान
उसके बाद 1957 में मतदान प्रतिशत 43.24 रहा, जबकि 1962 में यह बढ़कर 44.47 प्रतिशत हुआ। 1967 से मतदान प्रतिशत में निरंतर बढ़ोतरी देखी गई, जहां यह आंकड़ा 51.51 फीसदी तक पहुंच गया। 1977 में मतदान मामूली गिरावट के साथ 50.51 फीसदी रहा, लेकिन 1980 से एक बार फिर इसमें वृद्धि देखने को मिली और मतदान प्रतिशत 57.28 हो गया।