कोलकाता: जनवरी महीने की पहली तारीख को ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार नया साल मनाया जाता है। लेकिन अलग-अलग धर्म और समुदाय में नये साल को मनाने के दिन और साल में अंतर होता है। बांग्ला कैलेंडर की शुरुआत बैसाख महीने से होती है और बैसाख के पहले दिन को नए साल के रूप में मनाया जाता है।
बंगाली समुदाय के लोग व्रत-त्योहार, शादी-विवाह या अन्य शुभ-मांगलिक कार्यों के लिए बांग्ला कैलेंडर का अनुसरण करते हैं। बांग्ला कैलेंडर की शुरुआत 594 ईस्वी से मानी जाती है। वर्ष 2024 में बंगाली कैलेंडर यानी बांग्ला सान या बंगबडा 1430 है। इसके अनुसार 13 अप्रैल 2024 को शनिवार का दिन और चोईत्रो 30 (चैत्र महीने की 30 तारीख है)। इसके बाद आज से बैसाख का महीना शुरू हो गया। बैसाख महीने के पहले दिन को बंगाली समुदाय में नए साल के आगमन के रूप में मनाया जाता है। इस दिन विभिन्न तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं, गणेश-लक्ष्मी की पूजा की जाती है, घर पर स्वादिष्ट भोजन बनाए जाते हैं और नए कपड़े पहनकर दोस्तों और रिश्तेदारों के घर पर आना-जाना होता है।
14 अप्रैल को बांग्ला नव वर्ष
बंगाली नया साल या पोइला बैसाख हर साल 14 या 15 अप्रैल को पड़ता है। इस वर्ष बंगाली नया साल रविवार, 14 अप्रैल 2024 को है। मान्यता है कि पोइला बैसाख की परंपरा मुगलकाल से चली आ रही है। सबसे पहले इसे फसल उत्सव के रूप में मनाया जाता था। लेकिन 18वीं और 19वीं सदी की शुरुआत में पोइला बैसाख मनाने के महत्व में तेजी आई और अब यह त्योहार पूरे पश्चिम बंगाल में धूमधाम के साथ मनाया जाता है। राज्य में इस दिन अवकाश भी होते हैं। पश्चिम बंगाल के साथ ही बांग्लादेश की राजधानी ढाका में भी इस दिन को हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
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बांग्ला नववर्ष को क्यों कहते हैं ‘शुभो नोबो बोरसो’
अंग्रेजी में जिस तरह से नए साल के दिन लोग एक दूसरे को हैप्पी न्यू ईयर कहकर नए साल की बधाई देते हैं। ठीक इसी तरह से बंगाली में बंगाली नववर्ष की बधाई या शुभकामना देने के लिए लोग ‘शुभो नोबो बोरसो’ कहते हैं। यहां शुभो का अर्थ है ‘शुभ’, नोबो का अर्थ है ‘नया’ और बोरसो का अर्थ है ‘वर्ष’ (নববর্ষ)। यानी नए वर्ष की शुभकामना।
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