अगली सुनवायी 9 को, पिटिशन की ग्रहणयोग्यता पर सवाल
सन्मार्ग संवाददाता
नयी दिल्ली/कोलकाता : पश्चिम बंगाल में गोतस्करी मामले में गिरफ्तार अनुब्रत मंडल की तरफ से दिल्ली हाई कोर्ट में एक हेवियस कार्पस दायर किया गया है। इसमें कहा गया है कि उन्हें गैरकानूनी तरीके से जेल हिरासत में रखा गया है। जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और जस्टिस तलवंत सिंह ने इसकी सुनवायी करते हुए ईडी से पांच दिनों के अंदर जवाब मांगा है। इसके साथ ही अनुब्रत के एडवोकेट से कहा है कि वे पिटिशन की ग्रहणयोग्यता तो साबित करें।
अनुब्रत की तरफ से पैरवी करते हुए एडवोकेट डी कृष्णन ने दलील दी कि उनके मुवक्किल को जेल हिरासत में रखे जाने का कोई औचित्य नहीं है। बेंच ने एडवोकेट कृष्णन से कहा कि वे पहले पिटिशन की ग्रहणयोग्यता साबित करें। इसकी अगली सुनवायी नौ जून को होगी। दूसरी तरफ ईडी की तरफ से पैरवी कर रहे एडवोकेट अनुपम शर्मा की दलील थी कि अनुब्रत की जेल हिरासत वैध है। ट्रायल कोर्ट के जज द्वारा जारी वारंट पर उसे गिरफ्तार किया गया था। इस पिटिशन की कोई ग्रहणयोग्यता नहीं है। अगर किसी व्यक्ति को अवैध तरीके से गिरफ्तार किया गया है तो उसे कोर्ट में हाजिर करने के लिए हेवियस कार्पस दायर किया जाता है। इसमें कहा गया है कि अनुब्रत मंडल को आठ मई को ट्रायल कोर्ट में पेश किया गया था और उसे जेल हिरासत में भेजे जाने के बजाए तिहाड़ जेल भेज दिया गया था। इसके साथ ही 15 दिनों की वैध अवधि के मुकाबले उसे अधिक दिनों तक जेल हिरासत में रखा गया था। इस पिटिशन में अपील की गई है कि अवैध रूप से तिहाड़ जेल में बंद अनुब्रत को मुक्त किया जाए। अनुब्रत को सीबीआई ने पिछले साल 11 अगस्त को गिरफ्तार किया था। इसके बाद ईडी ने उसे 17 नवंबर को अपनी हिरासत में ले लिया था।
अनुब्रत के मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने मांगा ईडी से जवाब
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