नई दिल्ली: एशियाई पैरा गेम्स में भारत की ओर से शीतल देवी ने गोल्ड मेडल जीतकर देश का नाम रौशन कर दिया। चीन के हांगझू में आयोजित एशियाई पैरा गेम्स में तीरंदाज शीतल देवी की चर्चा हर तरफ हो रही है। पीएम मोदी से लेकर कई बड़ी दिग्गज हस्तियां भी शीतल के जज्बे को सलाम कर रही हैं। पीएम मोदी ने भी शीतल को बधाई और शुभकामनाएं दी है। ये जानकारी पीएमओ में राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर दी।
Thanks PM Sh @NarendraModi ji for your kind words of encouragement and blessings to daughter of #Kishtwar, #JammuAndKashmir Sheetal Devi, the Para Archer who clinched the Gold in Asian Para Games 2023. pic.twitter.com/tqbgkRgpJL
— Dr Jitendra Singh (@DrJitendraSingh) November 1, 2023
महिंदा ग्रुप के चेयरमैन आनंद महिंद्रा ने सोशल मीडिया पर पोस्ट शेयर कर उन्हें खास तोहफा देने का ऐलान किया है। इन खेलों में भारत ने इतिहास रचते हुए कुल 111 मेडल जीते। शीतल ने महिलाओं के व्यक्तिगत कंपाउंड वर्ग में शुक्रवार को शीर्ष स्थान हासिल किया। जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ के लोइधर गांव की रहने वाली शीतल देवी ने 16 साल की उम्र में ये कमाल किया है।
दो साल की ट्रेनिंग में शीतल ने किया कमाल
शीतल फोकोमेलिया नामक बीमारी की शिकार हैं। इस बीमारी की वजह से बचपन से ही उनके हाथ नहीं है। उन्होंने एशियाई पैरा गेम्स में गोल्ड मेडल हासिल किया है। शीतल का करियर अभी शुरु ही हुआ है। 16 साल की शीतल की कहानी हिम्मत और संघर्ष की जीती जागती मिसाल है। आर्थिक स्तिथि की बात करें तो उनका परिवार गरीब है। पिता किसान और मां गृहणी हैं। हैरानी की बात ये है कि शीतल 14 साल की उम्र तक तीरंदाजी का ABCD भी नहीं जानती थीं। महज दो साल की ट्रेनिंग में उन्होंने यह कमाल कर दिखाया है।
कैसे हुई ट्रेनिंग की शुरुआत ?
जम्मू-कश्मीर की शीतल देवी ने दुनिया की पहली बिना हाथ वाली तीरंदाज बनकर हैरान कर दिया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, शीतल देवी ने दो साल पहले ही इस खेल के लिए ट्रेनिंग शुरू किया था। शीतल ने कटरा में श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में ट्रेनिंग ली है।
पिछले साल नवंबर, 2022 में शीतल ने पहली बार जूनियर नैशनल गेम्स में हिस्सा लिया। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। इसी साल जुलाई में पिल्सन में खेले गए वर्ल्ड पैरा तीरंदाजी के फाइनल में पहुंचने वाली दुनिया की पहली बिना हाथों की महिला तीरंदाज थीं। शीतल ने सिंगल कंपाउंड और मिक्स कंपाउंड इवेंट में गोल्ड जीता। वुमेन डबल्स में भी एक सिल्वर वो जीतीं थीं।