संसद परिसर में पूरी रात जी राम जी विधेयक के खिलाफ धरना

विपक्ष की मांग है कि इतने महत्वपूर्ण विधेयक को प्रवर समिति को भेजा जाए, ताकि विपक्षी दल इसकी गहन अवलोकन कर सकें, इस पर चर्चा कर सकें और सभी हितधारकों से विचार-विमर्श हो सके।
संसद परिसर में पूरी रात जी राम जी विधेयक के खिलाफ धरना
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नई दिल्ली: विपक्षी सांसदों ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के स्थान पर ‘विकसित भारत- जी राम जी विधेयक’ पारित किए जाने के खिलाफ संसद परिसर में बृहस्पतिवार रात से शुक्रवार सुबह तक 12 घंटे का धरना दिया। विपक्षी दलों के सांसदों ने यह ऐलान भी किया कि सरकार के इस कदम का संसद में पुरजोर विरोध करने के बाद अब वे सड़कों पर उतरेंगे।

संसद ने विधेयक पास कर दिया है

संसद ने बृहस्पतिवार को ‘विकसित भारत- जी राम जी विधेयक, 2025’ को मंजूरी दी। पहले दिन में यह विधेयक लोकसभा और देर रात राज्यसभा से पारित किया गया। तृणमूल कांग्रेस की सांसद सागरिका घोष ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार जिस तरह से यह पूरी तरह से “गरीब-विरोधी, जन-विरोधी, किसान-विरोधी और ग्रामीण गरीबों के खिलाफ” विधेयक लाई और मनरेगा को खत्म कर दिया है, वह निंदनीय है। उन्होंने कहा, “यह भारत के गरीबों का अपमान है, यह महात्मा गांधी का अपमान है, यह रवींद्रनाथ टैगोर का अपमान है। हमें सिर्फ पांच घंटे का नोटिस देकर इस विधेयक के बारे में सूचित किया गया। हमें इस पर उचित विचार विमर्श करने की अनुमति नहीं दी गई।”

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प्रवर समिति को भेजा जाए विधेयक

उन्होंने कहा, “हमारी मांग थी कि इतने महत्वपूर्ण विधेयक को प्रवर समिति को भेजा जाए, ताकि विपक्षी दल इसकी गहन अवलोकन कर सकें, इस पर चर्चा कर सकें और सभी हितधारकों से विचार-विमर्श हो सके। लेकिन ऐसा नहीं किया गया और तानाशाही का प्रदर्शन करते हुए लोकतंत्र की हत्या की गई।” घोष ने कहा, “अब हम 12 घंटे का धरना दे रहे हैं। यह धरना नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा जनता के खिलाफ, भारत के गरीबों के खिलाफ, ग्रामीण गरीबों के खिलाफ इस काले कानून को लाने के तरीके के विरोध में है।’’

श्रमिक वर्ग के लिए दुखद दिन

कांग्रेस महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने विधेयक पारित होने को देश के श्रमिक वर्ग के लिए “दुखद दिन” बताया और मोदी सरकार पर किसान-विरोधी और गरीब-विरोधी होने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “यह शायद भारत के लोकतंत्र मजदूरों के लिए सबसे दुखद दिन है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत सरकार ने मनरेगा को रद्द कर 12 करोड़ लोगों की आजीविका पर हमला किया है। उन्होंने साबित कर दिया है कि मोदी सरकार किसान-विरोधी और गरीब-विरोधी है।”

मनरेगा 14 महीने तक विचार-परामर्श के बाद पास हुआ था

कांग्रेस नेता मुकुल वासनिक ने कहा, “जब मनरेगा का मसौदा तैयार किया गया था, तब 14 महीने तक परामर्श किया गया था। इसे संसद ने सर्वसम्मति से पारित किया था। यह नयी योजना राज्यों पर अत्यधिक बोझ डालेगी। इसका परिणाम यह होगा कि यह योजना विफल हो जाएगी।” द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) नेता तिरुचि शिवा ने कहा कि महात्मा गांधी और बाबासाहेब आंबेडकर की प्रतिमाओं को संसद के पीछे की ओर स्थानांतरित कर दिया गया है, जहां लोग उन्हें देख नहीं सकते।’’ उन्होंने कहा कि अब योजना से राष्ट्रपिता का नाम हटाया गया है, जिससे पूरा विपक्ष और देश के लोग आक्रोशित हैं।

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