Delhi Bomb Blast : यूनिवर्सिटी पर सरकार क्यों मेहरबान

अल फलाह हरियाणा के फरीदाबाद जिले में अरावली पहाड़ियों के बीच 72 एकड़ में फैला है। यह वह इलाका है, जहां वैध और अवैध खनन किए जाते हैं।
Al Falah Medical College
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नयी दिल्ली : लाल किले के पास 10 नवंबर को किए गए कार धमाके के बाद सबसे ज्यादा सुर्खियों में है हरियाणा का अल फलाह मेडिकल कॉलेज। इससे पहले ज्यादातर लोगों ने इसका नाम भी शायद ही सुना हो। अल फलाह यूनिवर्सिटी के डॉक्टरों के तार विस्फोटकों और दिल्ली कार धमाके से जुड़े पाए गए तो जांच एजेंसियों ने यहां छापामारी की और कड़ी पूछताछ शुरू कर दी है। यहां के डॉक्टरों की गिरफ्तारी भी की गयी। मानवता की सेवा करने का शिक्षा देने वाली यह यूनिवर्सिटी कैसे बन गयी आतंकवाद का अड्डा, इस पर बड़ा सवाल है।

72 एकड़ में फैला है परिसर

अल फलाह हरियाणा के फरीदाबाद जिले में अरावली पहाड़ियों के बीच 72 एकड़ में फैला है। यह वह इलाका है, जहां वैध और अवैध खनन किए जाते हैं। इसकी स्थापना अल फलाह चैरिटेबल ट्रस्ट ने की थी और संचालन भी ट्रस्ट ही करता है। जो अब अल फलाह मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के नाम से जाना जाता है। उसका सफर 1997 में इंजीनियरिंग कॉलेज के रूप में शुरू हुआ था। तब इसमें बीटेक की स्नातक डिग्री दी जाती थी।

यूनिवर्सिटी का दर्जा दिलवा दिया गया

धीरे धीरे इसको सुनियोजित तरीके से निजी यूनिवर्सिटी का दर्जा दिलवा दिया गया। हरियाणा उच्च शिक्षा विभाग के पूर्व पदाधिकारी ने ‘सन्मार्ग’ को बताया कि उन्होंने और कुछ अन्य पदाधिकारियों ने इसका विरोध किया था। उस समय हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर मुख्यमंत्री थे और रामविलास शर्मा शिक्षा मंत्री थे। तमाम विरोध के बाद भी अल फलाह इंजीनियरिंग कॉलेज को हरियाणा सरकार ने यूनिवर्सिटी का दर्जा दे दिया। हरियाणा विधानसभा में 2014 में अल फलाह कॉलेज को यूनिवर्सिटी के रूप में स्थापित कर दिया गया।

एक साल के भीतर UGC की मान्यता

हरियाणा निजी विश्वविद्यालय अधिनियम-2006 के तहत विश्वविद्यालय का दर्जा प्राप्त करने के बाद बारी आयी UGC मान्यता की। यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (UGC) के पास मान्यता की फाइल पहुंची और एक साल के भीतर 2015 में इसको UGC मान्यता दे दी गयी। UGC एक्ट 1956 के सेक्शन 2 F और 12 B के तहत इसे जल्द मान्यता दे दी गयी।

UGC के पूर्व सदस्य ने बताया कि 12 B के तहत मान्यता प्राप्त करने में बरसों लग जाते हैं लेकिन एक साल के भीतर इसको 12 B की मान्यता मिलना हैरान कर देने वाली बात थी। उस समय भी कुछ सदस्यों ने विरोध किया था लेकिन विरोध के बावजूद UGC की 12 B मान्यता एक साल के भीतर दे दी गयी। इस मान्यता के तहत यूनिवर्सिटी UGC और अन्य संस्थानों में ग्रांट के लिए आवेदन दे सकती है। सवाल है कि हरियाणा सरकार अल फलाह चैरिटेबल ट्रस्ट पर इतनी चैरिटी क्यों कर रही थी और क्यों इतना विश्वास किया?

डॉ. निसार की बेटी से भी हो रही पूछताछ

अल फलाह यूनिवर्सिटी के कैंपस में एक और डॉक्टर से पूछताछ की जा रही है। यह डॉक्टर MBBS की स्टूडेंट है और डॉ. निसार की बेटी है। डॉ. निसार दिल्ली बम ब्लास्ट के बाद से ही फरार है। सवाल यह भी है कि बम ब्लास्ट से जुड़े इतने लिंक अल फलाह यूनिवर्सिटी में ही क्यों मिल रहे हैं? जांच एजेंसियां यूनिवर्सिटी के फंडिंग के मामले में भी विस्तृत जांच कर रही है। बता दें कि अल फलाह यूनिवर्सिटी में जम्मू कश्मीर के करीब 250 लोग हैं, जो कि छात्र, डॉक्टर और दूसरे डिपार्टमेंट में काम कर रहे हैं। 8 डॉक्टरों का भी कश्मीर से कनेक्शन सामने आया है। डॉ. मुजम्मिल भी इसी यूनिवर्सिटी में पढ़ाता था।

सिर्फ पेशागत संबंध 

अल-फलाह यूनिवर्सिटी ने 12 नवंबर को दिल्ली के लाल किले के पास हुए विस्फोट और 2,900 किलोग्राम विस्फोटक की बरामदगी के बाद अपनी पहली आधिकारिक प्रतिक्रिया जारी की है। जांच एजेंसियों द्वारा यूनिवर्सिटी से जुड़े तीन डॉक्टरों की संलिप्तता सामने आने के बाद यूनिवर्सिटी ने गिरफ्तार किए गए डॉक्टरों से दूरी बनाते हुए कहा है कि उनका उन व्यक्तियों से उनके ऑफिसियल काम करने के अलावा कोई संबंध नहीं है। यूनिवर्सिटी की कुलपति, प्रोफेसर (डॉ.) भूपिंदर कौर आनंद ने इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना की निंदा करते हुए कहा, ‘हम इन घटनाक्रमों से दुःखी और व्यथित हैं और इनकी निंदा करते हैं।

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