

नई दिल्ली: लोकसभा में शुक्रवार को राजस्थान के करौली-धौलपुर से कांग्रेस सांसद भजनलाल जाटव ने केंद्र सरकार की स्वास्थ्य व्यवस्था और कुपोषण निवारण योजनाओं को लेकर तीखे सवाल उठाए। उन्होंने अनुसूचित जाति-जनजाति बहुल क्षेत्रों में कुपोषण की भयावह स्थिति और सरकारी उदासीनता पर सदन का ध्यान आकर्षित किया।
कुपोषण योजनाओं में बजट का हिसाब मांगा
सांसद जाटव ने पूछा कि सरकार ने कुपोषण कम करने के लिए जो योजनाएं चलाई हैं, पिछले तीन वर्षों में इनके लिए कितनी राशि स्वीकृत की गई, वास्तविक व्यय कितना हुआ और क्या इस बजट को बढ़ाने का कोई विचार है? उन्होंने कहा कि जब मंत्री को ही बजट का सही-सही पता नहीं है तो वे बच्चों में कुपोषण रोकने के लिए प्रभावी कदम कैसे उठा पाएंगी?
राजस्थान को मिली कितनी राशि?
जाटव ने नेशनल हेल्थ मिशन के तहत राजस्थान को कितनी राशि आवंटित की गई, इसका भी हिसाब मांगा। साथ ही मंत्री द्वारा सदन में दिए गए एनीमिया संबंधी आंकड़ों में करौली-धौलपुर जिले का डेटा गायब होने पर सवाल उठाया। उन्होंने पूछा कि जब क्षेत्र का आंकड़ा ही नहीं है तो यह कैसे सुनिश्चित किया जाएगा कि वहां कितनी योजनाएं चल रही हैं और कितना बजट खर्च हुआ?
आंगनबाड़ी और स्वास्थ्य केंद्रों की बदहाली
सांसद ने कहा कि करौली-धौलपुर क्षेत्र में अनुसूचित जाति एवं जनजाति की आबादी अधिक है और यहां कुपोषण की दर सबसे ज्यादा है, लेकिन आंगनबाड़ी केंद्र जर्जर हालत में हैं। वर्षों से कोई नई आंगनबाड़ी नहीं खोली गई। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (PHC) व अन्य स्वास्थ्य केंद्रों में डॉक्टर, कंपाउंडर तक नहीं हैं।
जब समय पर जांच ही नहीं होगी तो कुपोषण कैसे कम होगा?भजनलाल जाटव ने सरकार से मांग की कि इन कमियों को तुरंत दूर किया जाए और कुपोषित बच्चों के लिए ठोस एवं पारदर्शी कदम उठाए जाएं। उनके सवालों से सदन में स्वास्थ्य मंत्रालय की तैयारियों पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।