नई दिल्ली: केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सचिव एस. कृष्णन ने बृहस्पतिवार को कहा कि कृत्रिम मेधा (AI) से कार्योंलयों में काम करने वालों की नौकरियों को सबसे अधिक खतरा है। उद्योग मंडल फिक्की के ‘एआई इंडिया’ सम्मेलन में कृष्णन ने कहा कि चूंकि एआई अब सीधे तौर पर सोच-विचार कर किए जाने वाले और विश्लेषण से जुड़े कार्यों को चुनौती दे रहा है, इसलिए कार्योलयों में काम करने वाली कर्मचारियों की नौकरी पर सबसे अधिक खतरा मंडरा रहा है।
आधुनिकरण से चुनौती समक्ष है
सचिव ने कहा, ‘‘ पिछली औद्योगिक क्रांतियों को देखें तो... उन्होंने जिस तरह के बदलाव लाए, उनमें से अधिकतर बदलाव शारीरिक, लोगों द्वारा किए जाने वाले काम को स्वचालित करने से संबंधित थे। पहली बार, एआई वास्तव में सोच-समझ कर किए जाने वाले काम की जगह ले रहा है। इसलिए, जो लोग सोच-विचार से जुड़े या विश्लेषण से जुड़े काम करते हैं उन्हीं की नौकरी पर एआई की वजह से सबसे अधिक खतरा है।’’
AI की क्षमता महत्वपूर्ण
कृष्णन ने विस्थापन के खतरे के बावजूद विशेष रूप से भारत जैसी विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में उत्पादकता बढ़ाने में एआई की महत्वपूर्ण क्षमता पर जोर दिया। उन्होंने तर्क दिया कि कौशल विकास के माध्यम से नए रोजगार के अवसर उत्पन्न करने की क्षमता, वर्तमान में नौकरियों को हो रहे नुकसान से कहीं अधिक है। सचिव ने कहा, ‘‘ कई कंपनियों के लिए तात्कालिक प्रलोभन यह हो सकता है कि वे शुरुआती सफलताओं पर ध्यान दें और भविष्य में आने वाली दीर्घकालिक समस्याओं को भूल जाएं लेकिन सरकार के रूप में हम इस मामले के दोनों पहलुओं को लेकर चिंतित हैं।
नए प्रकार की नौकरियों का सृजन होगा
ऐसा नहीं है कि हम नौकरियों पर पड़ रहे असर को लेकर चिंतित नहीं हैं लेकिन हमारा मानना है कि नए क्षेत्रों में नए प्रकार की नौकरियों के सृजन के अवसर कहीं अधिक हैं और यह मुख्य रूप से कौशल विकास, उन्नत कौशल विकास और प्रतिभा विकास के माध्यम से ही संभव है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ यह एक ऐसा कार्य है जो हम सभी के लिए समान है। यह केवल सरकार का काम नहीं है, यह केवल किसी उद्योग का काम नहीं है। इस प्रक्रिया में कई हितधारक शामिल होंगे।’’