

संभल : उत्तर प्रदेश के संभल जिले में शाही जामा मस्जिद के निकट एक कब्रिस्तान की कुछ जमीन पर कब्जे की शिकायत पर मंगलवार को कड़ी सुरक्षा के बीच पैमाइश कराई गई और इस दौरान 22 मकानों व दुकानों के अवैध होने की पुष्टि होने के बाद संबंधित व्यक्तियों को नोटिस भेजे जाएंगे।
जिलाधिकारी राजेंद्र पेंसिया ने बताया कि पूर्व में जामा मस्जिद के निकट एक कब्रिस्तान के कुछ हिस्से पर कब्जा कर दुकान और मकान बनाए जाने की मौखिक शिकायत की गई थी, जिस इस पर कार्रवाई करते हुए मंगलवार को कड़ी सुरक्षा के बीच कब्रिस्तान की नपाई की गई।
उन्होंने बताया कि पैमाइश में पाया गया की 22 दुकान और मकान अवैध रूप से कब्जा कर बनाए गए हैं। पेंसिया ने बताया कि अब इन दुकानों और मकान के मालिकों को बेदखली का नोटिस जारी किया जाएगा और उसके बाद विधिक कार्यवाही की जाएगी।
उन्होंने एक सवाल पर स्पष्ट किया कि कब्रिस्तान के संबंध हिस्से पर अवैध कब्जा 60-65 वर्ष पुराना है हालांकि कुछ भाग पर हाल के कुछ वर्षों में कब्जा किया गया है। अधिकारी ने बताया कि संबंधित पूरा गाटा संख्या कब्रिस्तान के तौर पर दर्ज है और उसमें कोई मकान या दुकान पंजीकृत नहीं है।
संभल के तहसीलदार धीरेन्द्र प्रताप सिंह ने बताया कि कब्जा किए गए हिस्से में कई बड़े मकान और दुकानें बनी हुई हैं, जिन्हें चिन्हित किया जा रहा है तथा उन्हें नोटिस देकर जवाब मांगा जाएगा।
उन्होंने बताया कि अगर इनका जवाब संतोषजनक नहीं हुआ तो उन्हें हटाने की कार्यवाही की जाएगी। पेंसिया ने बताया कि अभी 20-25 मकान और दुकानें दिख रही हैं बाकी जांच के बाद पता चलेगा। यहां भू माफिया ने प्लॉट बनाकर जमीन बेच दी है और इस तरह के मामलों की भी जांच की जा रही है।
अपर पुलिस अधीक्षक कुलदीप सिंह ने बताया कि कब्रिस्तान की जमीन की नपाई के लिए सुरक्षा बंदोबस्त के तौर पर पुलिसबल तैनात किया गया है। इस बीच, स्थानीय निवासियों ने प्रशासन की कार्यवाही पर असंतोष जाहिर किया है। अवैध बताये जा रहे एक मकान में रहने वाले डॉ. फिरोज ने बताया कि प्रशासन को कोई भी कार्रवाई करने से पहले प्रभावित लोगों का पक्ष भी सुनना चाहिए।
उन्होंने कहा, मेरी उम्र 39 वर्ष है। मैं शुरू से ही यहीं रह रहा हूं। मेरे पिता की उम्र 80 साल है। वह भी यही रह रहे हैं। मेरे दादा का 100 साल की उम्र में इंतकाल हुआ। वह भी यहीं रहते थे। यह हमारी पुश्तैनी जमीन है। मेरी यहां 10 दुकानें हैं और ऊपर मकान है। इसका बैनामा भी है और इसका नक्शा भी पास है। बस, हम यही चाहते हैं कि हमारा भी पक्ष सुना जाए।
स्थानीय निवासी मोहम्मद गुलाम वारिस ने बताया कि यह उनकी पुश्तैनी जगह है और उनके खानदान की पांचवीं पीढ़ी यहीं रहती आयी है। यहां हमारी दुकान व ऊपर मकान है। हमारे पास इसके कागजात हैं। सरकारी अधिकारी आए थे तो हमने उन्हें इस बारे में बताया भी था।