

लखनऊ : समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मंगलवार को मंदिरों के प्रबंधन में सरकारी हस्तक्षेप का कड़ा विरोध करते हुए कहा कि मंदिरों को सरकारी प्रशासन के भ्रष्टाचार से बचाया जाए। सपा प्रमुख ने सोशल मीडिया मंच 'एक्स' पर मथुरा के एक मंदिर से जुड़ी 51 सेकेंड की वीडियो रिपोर्ट साझा करते हुए कहा कि मंदिरों को सरकारी प्रशासन के भ्रष्टाचार से बचाया जाए।
वीडियो रिपोर्ट में दावा किया गया है कि मथुरा में बांके बिहारी मंदिर के मामलों के प्रबंधन के लिए एक ट्रस्ट का गठन किया गया है। यादव ने भाजपा-नीत सरकार पर बेहतर प्रशासन के बहाने देश भर के प्रमुख मंदिरों पर परोक्ष नियंत्रण का आरोप लगाया। अपने लंबे पोस्ट में पूर्व मुख्यमंत्री ने दावा किया कि सभी बड़े मंदिरों पर सरकार के प्रबंधन के बहाने भाजपा और उनके संगी-साथी अप्रत्यक्ष रूप से अपना कब्जा करते जा रहे हैं।
उन्होंने कहा, जो परंपरागत रूप से सैकड़ों सालों से इन मंदिरों के प्रबंधन-संचालन में आस्था से अपने कर्तव्य निभाते आ रहे हैं, उनसे उनके सेवा-भाव के अधिकार छीने जा रहे हैं, साथ ही उनपर अविश्वास प्रकट करते हुए एक तरह से यह आरोप भी लगाया जा रहा है कि वे इस काम में सक्षम नहीं है या फिर उनका संचालन त्रुटिपूर्ण है।
यादव ने पूर्ववर्ती व्यवस्था पर जोर देते हुए कहा कि मंदिरों में श्रद्धालु जो दान-पुण्य करते हैं, उसका सदुपयोग मंदिर में दर्शन, प्रसाद-भेंट, सुरक्षा, जन सुविधा, धर्मशाला आदि धर्मार्थ कार्यों में होता आया है और सेवा-भाव से भरा आस्थावान प्रबंधन यही सुनिश्चित करता है, क्योंकि उनका ऐसे धर्म-कर्म से एक बहुत गहरा एवं भक्ति भावना से भरा लगाव होता है।
उन्होंने कहा कि जो लोग बाहरी होते हैं या पेशेवर होते हैं, वे इन सब ‘धार्मिक-निवेश’ को लाभ-हानि की तराज़ू पर तौलते हैं, उनके लिए यह श्रद्धा का विषय नहीं होता है। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसे (कई) प्रकरण उपलब्ध हैं जब ऐसे प्रशासनिक लोगों ने मंदिर में चढ़ाये गये बेलपत्रों तक को बेचकर भ्रष्टाचार किया है।
उन्होंने सत्तारूढ़ दल को कठघरे में खड़ा करते हुए कहा, कारोबारी भाजपा और उनके धन-लोलुप संगी-साथी याद रखें कि धर्म भलाई के लिए होता है, कमाई के लिए नहीं। यादव ने यह भी कहा कि यह अनायास नहीं है कि जबसे भाजपा आई है एक के बाद एक मंदिरों पर ‘प्रशासनिक कब्जा होता जा रहा है, जबकि यह देश की सांस्कृतिक-धार्मिक परंपरा के विरुद्ध है।