कोलकाता - "एक महिला फोरेंसिक में क्या करेगी?" यह सवाल पूछा गया था भारत की पहली महीला फॉरेंसिक साइंटिस्ट रुक्मणि कृष्णमूर्ति से। नारीवाद के अस्तित्व में आने से पहले कृष्णमूर्ति एक नारीवादी थीं। जिस वक्त उनसे यह सवाल पूछा गया उनके पास और भी दो नौकरी के विकल्प थे। एक आरबीआई में लिपिक के पद पर और दूसरा एक शिक्षक के पद पर। इसके बाद भी उन्होंने इस सवाल का जवाद देना जरूरी समझा।
उन्होने ऐसा जवाब दिया कि आज हम और आप उनके बारे में बात कर रहे हैं। रुक्मणि कृष्णमूर्ति ने तब फॉरेंसिक साइंटिस्ट बनने के लिए कदम बढ़ाया जब ज्यादातर लोगों को यह भी नहीं पता था कि फोरेंसिक का मतलब क्या होता है।
कैसे जगी रुचि ?
सबसे पहले उनकी एक दोस्त ने उन्हें अपने कॉलेज में रसायन विज्ञान प्रयोगशाला के बारे में बताया। साथ ही साथ यह भी बताया कि वहां काम कैसे होता है और रसायनों का उपयोग किस प्रकार किया जाता है। यह सब सुनकर सबसे पहली बार रुक्मणि जी की रुचि रसायनों को लेकर जागृत हुई। जीवन में जब आगे जाकर उन्हें अवसर मिला तो उन्होंने जोखिम लेते हुए अपना कदम बढ़ाया और 1974 में बॉम्बे फॉरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला में काम करने चली गईं। वर्ष 1974 में जब वह बॉम्बे फॉरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला में काम करने गईं तो वहां वह अकेली महिला थी लेकिन जब 2008 में वह सेवानिवृत्त हुईं तो वहां 20% स्टाफ महिलाएं थीं।
कई बड़े केस में कर चुकी हैं काम ?
ट्रेन दुर्घटना की जड़ के रूप में खतरनाक सामग्री का पता लगाने से लेकर 26/11 के आतंकवादी हमलों में महत्वपूूर्ण विवरणों का पता लगाने तक, कृष्णमूर्ति की कहानी किसी थ्रिलर फिल्म से कम नहीं है। 12 मार्च, 1993 का दिन मुंबई में रहने वाले लोग कभी भूल नहीं पाएंगे। उस दिन मुंबई में एक के बाद एक 13 बम फटें और शहर की सबसे प्रतिष्ठित इमारतों को तहस नहस कर दिया। उस दिन हुए बम धमाके की वजह से 257 लोग मारे गए और 1400 से ज्यादा लोग घायल हो गए। इस केस की जांच करने के लिए जिस फॉरेंसिक टीम का गठन किया गया उसका नेतृत्व और कोई नहीं बल्कि वहीं महिला कर रही थी जिससे कभी पूछा गया था कि "एक महिला फॉरेंसिक में क्या करेगी?"
अब क्या कर रही हैं कृष्णमूर्ति ?
कृष्णमूर्ति ने 26/11, तेलगी स्टांप घोटाला सहित कई बड़े केस का नेतृत्व किया। कृष्णमूर्ति ने बॉम्बे फॉरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला में शोध सहायक के रूप में काम करना शुरू किया था और जब उनकी सेवानिवृत्त का समय आया तब वह निदेशक के पद पर काम कर रही थीं। वर्तमान में डॉ. रुक्मणी अब हेलिक एडवाइजरी लिमिटेड, मुंबई की अध्यक्ष और सीईओ हैं। आपको बता दें कि हेलिक एडवाइजरी भारत की पहली निजी क्षेत्र की फॉरेंसिक फर्म है। इसके साथ ही वह नेशनल फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी, गुजरात की अकादमिक परिषद की सदस्य भी हैं।