कौन है Share Market में धोखाधड़ी करने वाली माधबी पुरी, कोर्ट ने उनके खिलाफ जांच करने से क्यो रोका ?

जानिए पूरा मामला
कौन है Share Market में धोखाधड़ी करने वाली माधबी पुरी, कोर्ट ने उनके खिलाफ जांच करने से क्यो रोका ?
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नई दिल्ली - बंबई हाई कोर्ट ने शेयर बाजार धोखाधड़ी मामले में सेबी की पूर्व चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच और अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के विशेष अदालत के आदेश पर रोक लगा दी है। इससे पहले बंबई हाई कोर्ट ने सोमवार को बाजार नियामक सेबी की पूर्व चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच और पांच अन्य अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के आदेश पर चार मार्च तक कोई कार्रवाई न करने का भ्रष्टाचार-निरोधक ब्यूरो (एसीबी) को निर्देश दिया था। अब कोर्ट ने प्राथमिकी दर्ज ना करने का आदेश दिया है।

आखिर कौन है माधबी पुरी बुच?

1966 में जन्मी माधबी पुरी बुच भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की पूर्व अध्यक्ष हैं तथा यह पद संभालने वाली पहली महिला हैं। उनका विवाह धवल बुच से हुआ है। उनका एक बेटा है जिसका नाम अभय है।

माधवी पुरी बुच ने अपनी प्रारंभिक स्कूली शिक्षा दो शहरों, मुंबई में फोर्ट कॉन्वेंट स्कूल और दिल्ली में कॉन्वेंट ऑफ जीसस एंड मैरी में पूरी की। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफंस कॉलेज से गणित में स्नातक की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद उन्होंने भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) अहमदाबाद से एमबीए की डिग्री हासिल की।

कई सालों का था Experience

माधबी पुरी बुच ने अपना करियर आईसीआईसीआई समूह से शुरू किया, जहां उन्होंने 17 साल तक काम किया। इस दौरान, उन्होंने 12 साल तक आईसीआईसीआई बैंक में कार्यकारी निदेशक के रूप में काम किया और फरवरी 2009 से मई 2011 तक आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज की प्रबंध निदेशक और सीईओ रहीं।

उन्होंने आईसीआईसीआई के अन्य विभागों जैसे आईसीआईसीआई वेब ट्रेड लिमिटेड और आईसीआईसीआई एचएफसी लिमिटेड के साथ भी काम किया है। 2011 में, वह ग्रेटर पैसिफ़िक कैपिटल एलएलपी का नेतृत्व करने के लिए सिंगापुर चली गईं। बाद में उन्होंने अगोरा एडवाइज़री प्राइवेट लिमिटेड की स्थापना की और शंघाई में न्यू डेवलपमेंट बैंक के साथ तीन साल तक काम किया।

इसके अतिरिक्त, माधबी ने कई प्रमुख फर्मों में गैर-कार्यकारी निदेशक पदों पर कार्य किया, जिनमें आइडिया सेल्युलर (2011-2017), मैक्स हेल्थकेयर, जेनसार टेक्नोलॉजीज, इनोवेन कैपिटल और गैबलहॉर्न इन्वेस्टमेंट्स शामिल हैं। उन्हें 1 मार्च, 2022 को सेबी के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया था। उनका कार्यकाल शुरू में तीन साल के लिए निर्धारित किया गया था, जिसे पांच साल तक या 65 वर्ष की आयु तक बढ़ाने की संभावना है।

चलिए अब जानते हैं कि आखिर क्या है बूच से जुड़ा पूरा मामला?

दरअसल सभी 6 आरोपित प्राथमिकी के आदेश के खिलाफ बॉम्बे हाई कोर्ट पहुंचे थे। मुंबई स्थित भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) की विशेष अदालत ने शनिवार को शेयर बाजार में धोखाधड़ी के संबंध में माधबी पुरी और 5 अन्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का निर्देश दिया था। याचिकाओं में विशेष अदालत के आदेश को अवैध और मनमाना बताते हुए इसे रद्द करने की मांग की गयी है। कहा गया कि याचिकाकर्ताओं को नोटिस भी जारी नहीं किया गया और उनकी बात नहीं सुनी गयी।

क्या कहा था एसीबी अदालत ने ?

एसीबी अदालत के न्यायाधीश ने शनिवार को पारित आदेश में कहा था, ‘प्रथम दृष्टया विनियामकीय चूक और मिलीभगत के सबूत हैं, जिसकी निष्पक्ष जांच की आवश्यकता है।’ अदालत ने कहा कि वह जांच की निगरानी करेगी और 30 दिनों के भीतर स्थिति रिपोर्ट मांगी गयी है। अदालत ने आदेश में यह भी कहा है कि आरोपों से संज्ञेय अपराध का पता चलता है जिसकी जांच जरूरी है।

क्या कहना है शिकायतकर्ता सपन श्रीवास्तव का ?

शिकायतकर्ता सपन श्रीवास्तव, जो एक मीडिया रिपोर्टर हैं, ने कथित अपराधों की जांच की मांग की थी, जिसमें बड़े पैमाने पर वित्तीय धोखाधड़ी, विनियामक उल्लंघन और भ्रष्टाचार शामिल है। शिकायतकर्ता ने दावा किया कि सेबी के अधिकारी अपने वैधानिक कर्तव्य में विफल रहे, बाजार में हेरफेर को बढ़ावा दिया तथा निर्धारित मानदंडों को पूरा नहीं करने वाली कंपनी को सूचीबद्ध करने की अनुमति देकर कॉरपोरेट धोखाधड़ी के लिए रास्ता खोला। शिकायतकर्ता ने कहा कि कई बार पुलिस स्टेशन और संबंधित नियामक निकायों से संपर्क करने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गयी।

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