

नई दिल्ली - दिल्ली की एक अदालत ने बुधवार को ‘नर्मदा बचाओ आंदोलन’ की कार्यकर्ता मेधा पाटकर की उस याचिका को खारिज कर दिया, जो उन्होंने दिल्ली के उपराज्यपाल वी के सक्सेना द्वारा दायर मानहानि मामले में दोषी ठहराए जाने के खिलाफ दायर की थी। सक्सेना उस समय गुजरात में एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) के प्रमुख थे।
वर्ष 2000 में वी के सक्सेना ने दायर किया था मामला
न्यायाधीश विशाल सिंह ने कहा, ‘दोषसिद्धि को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी गयी है और दोषसिद्धि बरकरार रखी गयी है। सजा सुनाए जाने के लिए मेधा पाटकर 8 अप्रैल को पेश होंगी।’ वी के सक्सेना ने यह मामला नवंबर 2000 में उस वक्त दायर किया था, जब वह ‘नेशनल काउंसिल ऑफ सिविल लिबर्टीज’ के अध्यक्ष थे। सक्सेना ने उक्त मामला पाटकर द्वारा उनके खिलाफ जारी की गयी एक ‘अपमानजनक’ प्रेस विज्ञप्ति के लिए दायर किया था।
मजिस्ट्रेट अदालत के फैसले के खिलाफ मेधा ने सत्र अदालत में दायर की थी अपील
पिछले साल 24 मई को मजिस्ट्रेट अदालत ने कहा था कि मेधा पाटकर द्वारा सक्सेना को ‘कायर’ कहना और हवाला लेन-देन में उनकी संलिप्तता का आरोप लगाने वाला उनका बयान न केवल अपने आप में मानहानि के समान है, बल्कि इसे नकारात्मक धारणा को उकसाने के लिए गढ़ा गया था। सजा पर बहस 30 मई को पूरी हो गयी थी, जिसके बाद सजा पर फैसला 7 जून को सुरक्षित रख लिया गया था। अदालत ने 1 जुलाई 2024 को उन्हें 5 महीने के साधारण कारावास की सजा सुनाई थी, जिसके बाद मेधा पाटकर ने सत्र अदालत में अपील दायर की थी।