

नई दिल्ली - अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को चीन से आने वाले 438 बिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य के आयात पर 34 प्रतिशत शुल्क लगाने की घोषणा की। इस फैसले पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए, चीन ने कहा कि वह अपने हितों की रक्षा के लिए जवाबी कदम उठाएगा। गौरतलब है कि चीन, अमेरिका का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है।
चीन ने किया विरोध
चीन के वाणिज्य मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि चीन अमेरिका के "प्रतिशोधी शुल्क" का विरोध करता है और अपने अधिकारों और हितों की रक्षा के लिए कड़े कदम उठाएगा। इससे पहले, फरवरी और मार्च में भी ट्रंप ने चीन पर 10 प्रतिशत शुल्क लगाने का फैसला किया था।
चीन कि प्रतिक्रिया क्या रही
चीन ने पहले भी ट्रंप द्वारा लगाए गए शुल्कों के जवाब में अतिरिक्त 15 प्रतिशत शुल्क लागू किया था और अमेरिका के खिलाफ विश्व व्यापार संगठन (WTO) में कानूनी कार्रवाई की थी। इसके अलावा, चीन ने 10 अमेरिकी कंपनियों को "अविश्वसनीय संस्थाओं" की सूची में डालकर उनके खिलाफ सख्त कदम उठाए हैं। इन कंपनियों में रक्षा, सुरक्षा, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, विमानन और आईटी से जुड़ी कई प्रमुख कंपनियां शामिल हैं।
नए शुल्क का क्या होगा असर
चीन के अधिकारियों का कहना है कि ये नए शुल्क अमेरिकी उपभोक्ताओं को अधिक नुकसान पहुंचाएंगे। लेकिन इन शुल्कों से चीन के व्यापार और उद्योगों पर काफी असर पड़ेगा, जो पहले ही चीनी अर्थव्यवस्था की मंदी से प्रभावित हैं।
चीन ने अमेरिका से काफी लाभ कमाया है - ट्रंप
ट्रंप ने आरोप लगाया कि चीन अमेरिकी उत्पादों पर 67 प्रतिशत तक शुल्क लगाता है, जिसमें मुद्रा हेरफेर और व्यापार प्रतिबंध भी शामिल हैं। व्हाइट हाउस के रोज गार्डन से घोषणा करते हुए, उन्होंने कहा कि चीन पर 34 प्रतिशत शुल्क लगाने से व्यापारिक असंतुलन को दूर करने में मदद मिलेगी। ट्रंप ने इस कदम को "टफ लव" (tough love) करार देते हुए दावा किया कि चीन ने अमेरिका से काफी लाभ कमाया है।
चीन ने की आलोचना
चीन ने ट्रंप की शुल्क नीति की आलोचना करते हुए कहा कि संरक्षणवाद से किसी को लाभ नहीं होगा और व्यापार या शुल्क युद्धों में कोई विजेता नहीं होता। चीनी दूतावास के प्रवक्ता लियू पेंगयू ने स्पष्ट किया कि चीन हमेशा से अतिरिक्त शुल्कों का विरोध करता रहा है और उसकी स्थिति इस मुद्दे पर स्थिर बनी हुई है।