Tariff War : चीन और कनाडा के बाद अब भारत की बारी ?

क्या भारत पर भी लगेगा टैरिफ़? ट्रंप की नई रणनीति पर सबकी निगाहें
Tariff War : चीन और कनाडा के बाद अब भारत की बारी ?
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नई दिल्ली - अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने व्यापार घाटे को लेकर कदम उठाना शुरू कर दिया है। एक फरवरी को उन्होंने मेक्सिको और कनाडा पर 25 प्रतिशत और चीन पर 10 प्रतिशत टैरिफ़ लगाने की घोषणा की। यह कदम अमेरिका के व्यापार संबंधों को फिर से सशक्त करने और घाटे को कम करने के लिए उठाया गया है।

कनाडा, अमेरिका को क्रूड आयल की सबसे बड़ी आपूर्ति करने वाला देश है। जनवरी से लेकर नवंबर तक, कनाडा ने अमेरिका को कुल 61 प्रतिशत क्रूड आयल सप्लाई किया है। कनाडा, मेक्सिको और अमेरिका की अर्थव्यवस्थाएं एक-दूसरे से बहुत मजबूती से जुड़ी हुई हैं।

एक अनुमान के मुताबिक, इन तीनों देशों के बीच हर दिन करीब दो बिलियन डॉलर के सामान का व्यापार होता है। जनवरी में एक रिपोर्ट में कहा गया है कि कनाडा और मेक्सिको पर 25 प्रतिशत टैरिफ़ लगाने से सिर्फ इन दोनों देशों में ही नहीं, बल्कि अमेरिका में भी विकास धीमा हो सकता है और महंगाई बढ़ सकती है।

जस्टिन ट्रूडो ने दिया बयान

शनिवार को कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भी टैरिफ़ का जवाब दिया। एक संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने कहा, "हम पीछे नहीं हटेंगे। हम 155 अरब डॉलर मूल्य के अमेरिकी सामानों पर 25 प्रतिशत टैरिफ़ लगाने जा रहे हैं, जो मंगलवार से लागू होगा। अगले 21 दिनों में 125 अरब डॉलर के टैरिफ लागू हो जाएंगे। इसमें अमेरिकी बीयर, वाइन, बोरबॉन, फल और फलों के रस, सब्जियां, इत्र, कपड़े और जूते, घरेलू उपकरण, खेल के सामान, फर्नीचर, लकड़ी और प्लास्टिक भी शामिल हैं।"

चीन ने भी जारी किया बयान

चीन ने बयान जारी कर कहा है कि, "हम टैरिफ का विरोध करते हैं। विश्व व्यापार संगठन में हम अमेरिका के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेंगे। अमेरिका गलत तरीका इस्तेमाल कर रहा है। हम अपने हितों की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।"

टैरिफ किसे कहा जाता है ?

टैरिफ़ उस कर को कहा जाता है जो किसी देश द्वारा आयात किए गए उत्पादों पर लगाया जाता है। यह कर निर्यातक पर नहीं, बल्कि उन कंपनियों पर लगता है जो उन उत्पादों को आयात करती हैं। उदाहरण के तौर पर, अगर कोई कंपनी अमेरिका में एक कार आयात करती है जिसकी कीमत एक लाख डॉलर है, और उस पर 25 प्रतिशत टैरिफ़ लगता है, तो कार की कीमत में 25,000 डॉलर का इजाफ़ा हो जाएगा। इसका मतलब यह है कि अगर कोई अमेरिकी कंपनी चीन से कोई सामान आयात कर रही है, तो उसे तय दर के हिसाब से टैरिफ़ देना होगा। अब, अगर चीन के उत्पादों पर टैरिफ़ बढ़ा दिया जाता है, तो अमेरिकी कंपनी को ज्यादा टैरिफ़ देना पड़ेगा। इसके परिणाम यह होगा कि अमेरिकी कंपनियां चीन की बजाय ऐसे देशों से सामान आयात करना चाहेंगी, जहां टैरिफ़ कम हो। इससे दूसरे देशों को तो फायदा होगा, लेकिन चीन को नुकसान होगा।

क्या है व्यापार घाटा ?

जब किसी देश का आयात उसके निर्यात से ज्यादा हो जाता है, तो इसे व्यापार घाटा कहते हैं। इससे उस देश में रोजगार के मौके घट सकते हैं और आर्थिक विकास को भी नुकसान हो सकता है।

इस समय अमेरिका का सबसे ज्यादा निर्यात चीन कर रहा है और आयात कम कर रहा है। मेक्सिको और कनाडा का भी यही हाल है, जिससे अमेरिका को व्यापार में घाटा हो रहा है। यानि, अमेरिका को सबसे ज्यादा व्यापार घाटा चीन के कारण हो रहा है, जबकि मेक्सिको और कनाडा इसके बाद दूसरे और तीसरे नंबर पर हैं।

भारत-अमेरिका के बीच कैसे हैं व्यापार संबंध ?

भारत, अमेरिका के बड़े निर्यातकों में से एक है। 2023-24 में भारत ने अमेरिका को 77.5 बिलियन डॉलर का माल निर्यात किया। इस दौरान, अमेरिका से भारत का आयात 17 प्रतिशत घटकर 42.2 बिलियन डॉलर रह गया। यही कारण है कि ट्रंप लगातार दबाव बना रहे हैं, ताकि यह संतुलन सही किया जा सके।

भारत अमेरिका से कच्चा तेल, मोती, कीमती पत्थर, आर्टिफिशियल ज्वैलरी, परमाणु रिएक्टर, बॉयलर, बिजली संयंत्र उपकरण, विमान और इसके पुर्जे, चिकित्सा और सैन्य उपकरण आयात करता है।

वहीं, भारत अमेरिका को पेट्रोलियम उत्पाद, औषधि निर्माण, मोती, कीमती पत्थर, दूरसंचार उपकरण, सूती कपड़े, परिधान और इलेक्ट्रॉनिक मशीनरी का निर्यात करता है। भारत का निर्यात लगातार बढ़ रहा है।

अमेरिका क्या भारत पर भी लगा सकता है टैरिफ ?

भारत में अब टैरिफ़ को लेकर चर्चा तेज़ हो गई है। राजनीति और आर्थिक क्षेत्र में इस पर बात हो रही है कि क्या डोनाल्ड ट्रंप भारत के साथ हो रहे व्यापार घाटे को लेकर भी कोई कदम उठा सकते हैं। हालांकि, अमेरिका के व्यापार घाटे में भारत की हिस्सेदारी केवल 3.2 प्रतिशत है, फिर भी हाल ही में ट्रंप ने ब्रिक्स देशों को चेतावनी दी थी, और इस समूह में शामिल चीन पर कार्रवाई भी की है।

भारत भी इस समूह का हिस्सा है, तो ट्रंप अगले कदम उठा सकते हैं। पिछले कार्यकाल में ट्रंप ने स्टील और एल्युमीनियम के आयात पर टैरिफ़ लगाए थे, और भारत ने हार्ले-डेविडसन बाइक के आयात पर शुल्क कम किए थे। अब देखना होगा कि आगे क्या कदम उठाए जाते हैं।

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