

इंदौर - देश के सबसे स्वच्छ शहर मध्य प्रदेश के इंदौर में साफ-सफाई का एक ‘दुष्प्रभाव’ करीब ढाई लाख आवारा कुत्तों के लिए भोजन के संकट के तौर पर सामने आया है। जानकारों का कहना है कि भोजन की यह समस्या आवारा कुत्तों के हिंसक स्वभाव की प्रमुख वजहों में शुमार है।
शहर में चल रहा आवारा कुत्तों की नसबंदी का अभियान
यह बात ऐसे वक्त सामने आयी है जब इंदौर में आवारा कुत्तों के लोगों को काटने की बढ़ती घटनाओं के बीच स्थानीय प्रशासन इन जानवरों की नसबंदी के अब तक के सबसे बड़े अभियान की तैयारी में जुटा है। अधिकारियों ने मंगलवार को बताया कि प्रशासन ने तय किया है कि शहर में आवारा कुत्तों की नसबंदी के लिए छह महीने का विशेष अभियान चलाया जायेगा ताकि उनकी तादाद को नियंत्रित किया जा सके। नगर निगम में पशु जन्म नियंत्रण (एबीसी) कार्यक्रम के प्रभारी डॉ. उत्तम यादव ने बताया कि शहर में आम तौर पर हर रोज 30 से 35 आवारा कुत्तों की नसबंदी होती है। हमने इस संख्या को बढ़ाकर 90 पर पहुंचाने का लक्ष्य तय किया है।
समस्या समाधान में पशुप्रेमियों से ली जा रही मदद
यादव ने माना कि भूख के कारण शहर के आवारा कुत्ते चिड़चिड़े हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि कुछ बरसों पहले शहर में कचरा यहां-वहां पड़ा रहता था और बड़ी कचरा पेटियां भी रखी होती थीं। आवारा कुत्ते इनमें अपना भोजन ढूंढ़ लेते थे लेकिन अब शहर में कचरा पेटियां नहीं हैं और नगर निगम की गाड़ियों से हर घर और प्रतिष्ठान से कचरा जमा किया जाता है। इससे आवारा कुत्तों को आसानी से भोजन नहीं मिल पा रहा है।
उन्होंने आगे कहा कि आवारा कुत्तों को भोजन की तलाश में अपना इलाका छोड़कर दूसरे इलाकों में जाना पड़ता है जिससे अन्य कुत्तों के साथ उनके हिंसक संघर्ष होते हैं और कई बार इससे तनावग्रस्त होकर भूखे कुत्ते आम लोगों को काट लेते हैं।