

नयी दिल्ली : दिल्ली हाई कोर्ट ने गूगल, फेसबुक और ‘एक्स’ को निर्देश दिया कि वे उस वीडियो क्लिप के लिंक हटाएं जिसमें एक महिला को नदी में राफ्टिंग करते हुए दिखाया गया है। महिला ने दावा किया है कि यह वीडियो उसकी सहमति के बिना अपलोड किया गया था, जिसके कारण उसे ट्रोल किया गया और परेशान किया गया। न्यायमूर्ति सचिन दत्ता ने गूगल, फेसबुक और ‘एक्स’ सहित अन्य को राफ्टिंग प्रशिक्षक और ऋषिकेश में जिस ट्रैवल एजेंसी के साथ वह काम करता है, द्वारा अपलोड किए गए वीडियो क्लिप के प्रकाशन को रोकने के लिए कदम उठाने का निर्देश दिया। कोर्ट ने 16 अप्रैल को महिला की याचिका पर केंद्र, ऑनलाइन मंच, प्रशिक्षक और ट्रैवल एजेंसी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। कोर्ट ने केंद्र को प्रासंगिक नियमों और विनियमों के मद्देनजर अपेक्षित कार्रवाई करने का भी निर्देश दिया और सुनवाई 22 जुलाई के लिए तय की। हाई कोर्ट ने कहा, ‘इस बीच, उपरोक्त परिस्थितियों पर विचार करते हुए, प्रतिवादी 2 से 5 (सोशल मीडिया मंच) को उन यूआरएल को हटाने का निर्देश दिया जाता है, जिनसे संबंधित वीडियो प्रकाशित /प्रसारित किया जा रहा है। यूआरएल का विवरण पक्षों को नोटिस में दिया गया है।’ उन्हें वीडियो क्लिप के प्रकाशन को रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाने का भी निर्देश दिया गया।
महिला का आरोप
महिला ने आरोप लगाया कि उसकी सहमति और जानकारी के बिना कई ऑनलाइन मंच पर वीडियो प्रसारित होने से उसकी निजता के अधिकार का उल्लंघन हुआ है। उन्होंने बताया कि वह मार्च 2025 में छुट्टियां मनाने ऋषिकेश गयी थीं और उन्होंने रिवर राफ्टिंग के रोमांचक खेल के लिए ट्रैवल एजेंसी के जरिये बुकिंग कराई थी। राफ्टिंग प्रशिक्षक के सुझाव पर, उन्होंने गोप्रो कैमरे के माध्यम से अपने राफ्टिंग अनुभव को रिकॉर्ड करने की अतिरिक्त सेवा का लाभ उठाया। याचिका में कहा गया है कि प्रशिक्षक ने याचिकाकर्ता सहित राफ्टर्स का वीडियो रिकॉर्ड किया और एक वीडियो में उसे ‘पूरी तरह से घबराई हुई’ स्थिति में देखा जा सकता है, जो ‘उसकी अच्छी छवि पेश नहीं करता’ है।
उन्होंने कहा कि परिणामस्वरूप, वह ‘साइबर दुर्व्यवहार, साइबर बदमाशी, धमकी, घृणा, ट्रोलिंग और उत्पीड़न का शिकार हो गयीं।’