कोलकाता : एक ओर दुर्गा पूजा में एक महीने से भी कम समय रह गया है तो वहीं दूसरी ओर, आरजी कर के मामले में न्याय की मांग पर आये दिन रैलियों व जुलूसों के कारण दुकानदार मार खा रहे हैं। आरजी कर अस्पताल के पास ही उत्तर कोलकाता का शॉपिंग हब हाथीबागान मार्केट है जहां सैकड़ों दुकानें हैं। हाथीबागान के निकट ही ऐतिहासिक श्यामबाजार का पांच माथा मोड़ है। इस स्थान ने आज तक ना जाने कितनी रैलियां, जुलूस व प्रदर्शन देखे होंगे मगर इस तरह का प्रदर्शन शायद पहली बार ही देखा है। इन सबके बीच, सबसे अधिक मार खा रहे हैं दुकानदार। दुर्गा पूजा का समय नजदीक है और ऐसे समय में जब हाथीबागान मार्केट में पैर रखने की जगह भी नहीं होती थी, फिलहाल यहां बिक्री काफी कम हो रही है।
रोज बंद हो जाता है ट्रैफिक : अमल साहा ने बताया, ‘इसी सड़क से सभी रैलियां जाती हैं जिस कारण ट्रैफिक रुक जाता है। दुर्गा पूजा में काफी कम समय बचा है, दिन भर में 4 से 5 ग्राहक हो रहे हैं। शनिवार को काफी भीड़ होती है, लेकिन अभी मार्केट पूरी तरह खाली है। ग्राहकों की संख्या 70 से 75% कम है और कुछ ही ग्राहक आ रहे हैं।’
समस्या का कोई हल निकालना आवश्यक : रतन साहा ने कहा कि मार्केट का हाल आरजी कर को लेकर रैलियों व जुलूसों ने खराब कर दिया है। हमारा व्यवसाय बिगड़ गया है। मामले का अब कोई हल निकाला जाना चाहिए ताकि हम अपना व्यवसाय चला सके। इस समय काफी अच्छा मार्केट रहता है, लेकिन अभी रोज यहां ट्रैफिक बंद हो जाता है। इस कारण ग्राहक यहां नहीं आ पा रहे हैं, ऐसे में जल्द से जल्द इन सबका हल निकाला जाना चाहिए।
हाथीबागान के हॉकर स्वरूप सरकार ने कहा, ‘गत 2 से 3 महीने से जो स्थिति चल रही है, उस कारण बिक्री काफी कम है। पहले हॉकरों के बैठने को लेकर हमें निर्देश दिया गया जिसमें डेढ़ महीने चले गये। इसके बाद आरजी कर की घटना हुईजो काफी निंदनीय है। प्रतिदिन यहां रैली व जुलूस निकल रहे हैं जिस कारण काफी असर पड़ रहा है। एक दिन का खर्च भी नहीं निकाल पा रहे हैं। सामने दुर्गा पूजा है जिसमें सभी शामिल होंगे। हालांकि इस तरह दुर्गा पूजा से पहले अगर हम कुछ आय नहीं कर पायेंगे तो हमारा परिवार कैसे चलेगा। राज्य सरकार से अनुरोध करूंगा कि इस समस्या को मिटायें। ग्राहक भी यहां आने से डर रहे हैं कि कहां ट्रैफिक में फंस जायेंगे या कहां गाड़ी नहीं मिलेगी, कोई ठीक नहीं है। हम आंदोलनकारियों के साथ हैं, लेकिन आरजी कर के निकट होने के कारण सबसे अधिक असर हम पर पड़ रहा है।’