

मुंबई : देश को बड़े और वैश्विक स्तर के बैंकों की जरूरत है। इस संबंध में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और बैंकों के साथ बातचीत जारी है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 12वें ‘एसबीआई बैंकिंग एंड इकॉनमिक्स’ सम्मेलन-2025 को संबोधित करते हुए यह बात कही। उन्होंने वित्तीय संस्थानों से उद्योग जगत के लिए कर्ज प्रवाह को बढ़ाने और व्यापक बनाने का आग्रह किया है। उन्होंने भरोसा जताया कि माल एवं सेवा कर (GST) दरों में कटौती से मांग बढ़ेगी और इससे कुल मिलाकर निवेश बढ़ेगा।
काम शुरू हो चुका है
उन्होंने आगे कहा कि देश को कई बड़े और विश्वस्तरीय बैंकों की जरूरत है। सरकार इस पर विचार कर रही है और काम शुरू हो चुका है। हम आरबीआई और बैंकों के साथ इस पर चर्चा कर रहे है। सीतारमण ने कहा कि सरकार का मुख्य जोर बुनियादी ढांचे के निर्माण पर है और पिछले दशक में पूंजीगत व्यय में पांच गुना वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि सरकार ने 2014 से व्यापार को सुगम बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण सुधारों को आगे बढ़ाया है।
चार लाख करोड़ रुपये से अधिक की बचत
सीतारमण ने कहा कि सरकार ने प्रत्यक्ष लाभ अंतरण के माध्यम से चार लाख करोड़ रुपये से अधिक की बचत की और पिछले दशक में 25 करोड़ लोगों को बहुआयामी गरीबी से बाहर निकाला गया। उन्होंने कहा कि सरकार प्रौद्योगिकी की अगुवाई में वृद्धि पर जोर दे रही है। डेटा (इंटरनेट) की लागत आज कम होकर 10 रुपये प्रति जीबी पर आ गयी है जो 2014 में 300 रुपये प्रति जीबी थी।
फ्यूचर्स और ऑप्शन्स ट्रेडिंग
सीतारमण ने कहा कि सरकार का फ्यूचर्स और ऑप्शन्स (F&O) ट्रेडिंग को बंद करने का कोई इरादा नहीं है। सरकार का काम अड़चनों को हटाना है और उन पर सुधार करना होता है। F&O से जुड़े जोखिमों को समझना निवेशकों की जिम्मेदारी है।
ग्राहकों से स्थानीय भाषा मे करें बात
सीतारमण ने बैंकों से आग्रह किया है कि वे यह सुनिश्चित करें कि ग्राहकों को शाखाओं में स्थानीय भाषा में अपना काम करवाने में सुविधा हो। उन्होंने बैंकों से मानव संसाधन नीतियों में बदलाव करने का भी आह्वान किया ताकि मूल्यांकन के दौरान स्थानीय भाषा दक्षता को महत्व दिया जा सके।
यह भी पढ़े :- हुगली का साइबर हेल्पडेस्क बना एक मॉडल