

नई दिल्ली - महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) में अब उपस्थिति दर्ज कराने के लिए रेटिना स्कैन को अनिवार्य किया जा रहा है। इस नए नियम का विरोध करते हुए राजस्थान के बांसवाड़ा से लोकसभा सांसद और भारत आदिवासी पार्टी के नेता राजकुमार रोत ने इसे स्थानीय परंपराओं पर चोट करार दिया।
सोमवार को लोकसभा में शून्यकाल के दौरान उन्होंने कहा कि ग्रामीण इलाकों में कई समुदायों की महिलाओं में घूंघट प्रथा प्रचलित है। लेकिन नए नियम के अनुसार, उन्हें उपस्थिति दर्ज कराने के लिए घूंघट हटाना होगा, जो उनकी सांस्कृतिक परंपराओं के विरुद्ध है। उन्होंने सरकार से इस नियम को वापस लेने की अपील की।
इस वजह से हो रहा है हल्ला
राजकुमार रोत ने कहा कि उनकी परंपरा में महिलाओं के लिए अपने ससुर और जेठ के सामने घूंघट रखना आवश्यक माना जाता है। लेकिन सरकार ने नया नियम लागू कर दिया है, जिसके तहत रेटिना स्कैन के बिना मनरेगा के तहत मजदूरी नहीं मिलेगी। उन्होंने इसे स्थानीय संस्कृति पर हमला बताया।
पहले फिंगरप्रिंट से हो जाता था काम
पहले मनरेगा मजदूरों की उपस्थिति दर्ज करने के लिए बायोमेट्रिक फिंगरप्रिंट स्कैन का उपयोग किया जाता था, लेकिन अब सरकार ने इसे और कड़ा करते हुए रेटिना स्कैन को भी अनिवार्य कर दिया है। सरकार का तर्क है कि इससे धोखाधड़ी रोकने में मदद मिलेगी और मजदूरी सही व्यक्ति को मिलेगी। हालांकि, ग्रामीण क्षेत्रों में इस नियम के खिलाफ विरोध की आवाजें उठने लगी हैं।
सरकार ने अब तक कोई बयान नहीं दिया है
मनरेगा में रेटिना स्कैन को अनिवार्य करने को लेकर सरकार की ओर से अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया गया है। हालांकि, यह मामला लोकसभा में उठ चुका है, जिससे जुड़े विवाद पर सरकार को अपना रुख साफ करना होगा।