मांसाहार से धार्मिक भावनाएं आहत होती हैं तो ऐसे रेस्तरां से क्यों ऑर्डर किया : कोर्ट

ग्राहकों ने खटखटाया था कोर्ट का दरवाजा
मांसाहार से धार्मिक भावनाएं आहत होती हैं तो ऐसे रेस्तरां से क्यों ऑर्डर किया : कोर्ट
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मुंबई : मुंबई की उपभोक्ता अदालत ने दो फरियादियों से दो टूक कहा है कि यदि सामिष (नॉन-वेजिटेरियन) भोजन खाने से आपकी भावनाएं आहत होती हैं तो फिर ऐसे रेस्तरां से ऑर्डर क्यों करते हैं, जो नॉन वेज भोजन बनाता है। अदालत ने कहा कि ऐसे भी रेस्तरां का विकल्प हमेशा उपलब्ध है, जहां सिर्फ शाकाहारी भोजन ही उपलब्ध होता है।

क्या है मामला

इस मामले में दो ग्राहकों ने उपभोक्ता अदालत में यह कहते हुए अर्जी डाली थी कि रेस्तरां की तरफ से उन्हें नॉन-वेजिटेरियन भोजन दिया गया जबकि वे शाकाहारी हैं। इससे उनकी भावनाएं आहत हुई हैं। इसी पर अदालत ने साफ कहा कि यदि कोई शुद्ध शाकाहारी है और मांसाहार से उसकी भावनाएं आहत होती हैं तो खुद भी सावधानी रखनी चाहिए। ऐसे रेस्तरां से ऑर्डर नहीं करना चाहिए, जो निरामिष और सामिष दोनों तरह के भोजन परोसता हो।

जिला उपभोक्ता अदालत ने कहा कि कोई भी सामान्य व्यक्ति वेज और नॉनवेज फूड की पहचान खाने से पहले कर सकता है। शिकायतियों का ककना था कि उन्हें रेस्तरां ने गलत तरीके से मांसाहार परोसा गया। उन्होंने वाउ मोमोज रेस्तरां से दार्जीलिंग मोमो कॉम्बो ऑर्डर किया था। उनका कहना था कि हमने ऑर्डर के समय दो बार स्पष्ट किया था कि हमें शाकाहारी ही चाहिए। इसके बाद भी उन्हें जो डिश मिली, वह चिकन दार्जीलिंग मोमोस थी। यह नॉनवेज फूड था। उनका कहना था कि रेस्तरां के स्टाफ ने उनकी बात को नजरअंदाज कर दिया और मनमाने तरीके से नॉनवेज आइटम परोस दिया। शिकायतियों ने इस मामले में 6 लाख रुपये की मुआवजा राशि की मांग उपभोक्ता अदालत में अर्जी डालकर की थी।

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