परेश पाल के मामले में जज का सीबीआई से तीखे सवाल

परेश पाल के मामले में जज का सीबीआई से तीखे सवाल

अगली सुनवायी में देना पड़ेगा जवाब
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सन्मार्ग संवाददाता

कोलकाता विधायक परेश पाल और दो पार्षदों की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवायी के दौरान हाई कोर्ट के जस्टिस जय सेनगुप्त ने सीबीआई से बहुत सारे तीखे सवालों का जवाब मांगा। एक मौके पर तो चेतावनी देते हुए कहा कि सही ढंग से जांच नहीं करने के आरोप में इस मामले में सीबीआई के आईओ पर ही जांच बिठा दूंगा। सुनवायी के दौरान आईओ कोर्ट में नहीं थें। जस्टिस सेनगुप्त ने कहा कि वे इस मामले का त्वरित निपटारा करना चाहते हैं। अगले मंगलवार को सुनवायी में सीबीआई को इन सवालों का जवाब देना पड़ेगा।

जस्टिस सेनगुप्त ने सवाल किया कि क्या तीनों अभियुक्तों में से किसी का नाम वीडिओ में हैं। उन्होंने सवाल किया कि कॉल रिकार्ड का ब्यौरा कहां है। उन्होंने सवाल किया कि पहली चार्जशीट में तो सिर्फ बयान का जिक्र किया गया है। इससे जुड़े अन्य दस्तावेज कहां हैं। चार साल बाद गिरफ्तारी की नौबत क्यों आयी है। पूछा कि अगर साक्ष्य सुबूत था तो पहली चार्जशीट के बाद ही गिरफ्तारी क्यों नहीं की गई। मृतक पर हमला किसने किया था, क्या इन अभियुक्तों का उसके साथ बातचीत का कोई रिकार्ड है। सीबीआई की तरफ से पैरवी करते हुए डीएसजी एडवोकेट धीरज त्रिवेदी का दावा था कि उनके पास सारे सुबूत हैं। मौका दीजिए हम कोर्ट में दाखिल करेंगे। अभियुक्तों की तरफ से पैरवी कर रहे सीनियर एडवोकेेट कल्याण बनर्जी की दलील थी कि कोर्ट ने इस मामले की प्रोसिडिंग पर रोक लगा दी थी इसके बावजूद दो लोगों को जेल भेजा गया है। जस्टिस सेनगुप्त ने स्पष्ट कर दिया कि प्रोसिडिंग पर रोक इन तीन अभियुक्तों के मामले में ही लगायी गई है। जनसभा में चेतावनी दी जाने के आरोप का जवाब देते हुए एडवोकेट बनर्जी ने कहा कि परेश पाल ने कहा था कि मृतक और उसका भाई लोगों से क्षमा याचना करेंगे। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि अगर जांच के दौरान गिरफ्तारी नही की गई है तो जमानत पर रिहा किया जाना चाहिए। जस्टिस सेनगुप्त ने एक बार फिर सीबीआई की तरफ मुखातिब होते हुए कहा कि आप नरम रुख अपनाएंगे और चाहेंगे कि कोर्ट सख्त रुख अपनाए ऐसा कैसे हो सकता है। पार्षद सपन समद्दार और पापिया घोष ने भी अग्रिम जमानत याचिका दायर की है।

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