अमेरिका के युद्ध विभाग की रिपोर्ट में भारत-चीन को लेकर क्या खुलासा किया गया?

चीन संभवतः एलएसी पर तनाव कम होने का लाभ उठाकर द्विपक्षीय संबंधों को स्थिर करना चाहता है: अमेरिका
अमेरिका के युद्ध विभाग की रिपोर्ट में भारत-चीन को लेकर क्या खुलासा किया गया?
Published on

न्यूयॉर्क/वॉशिंगटनः चीन संभवतः भारत के साथ एलएसी पर तनाव कम होने का लाभ उठाकर द्विपक्षीय संबंधों को स्थिर करना चाहता है तथा अमेरिका-भारत संबंधों को और अधिक मजबूत होने से रोकना चाहता है। अमेरिकी युद्ध विभाग की एक रिपोर्ट से यह जानकारी मिली है।

अमेरिकी युद्ध विभाग ने मंगलवार को कांग्रेस (अमेरिकी संसद) को ' चीनी गणराज्य 2025 से संबंधित सैन्य और सुरक्षा घटनाक्रम' पर अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा कि अक्टूबर 2024 में भारतीय नेतृत्व ने चीन के साथ एक समझौते की घोषणा की। यह समझौता ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के इतर चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बीच हुई बैठक से दो दिन पहले वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर गतिरोध के शेष स्थलों से सेना को पीछे हटने के लिए था।

मोदी-शी के मुलाकात से रिश्ते में सुधार

रिपोर्ट में कहा गया है कि शी-मोदी की मुलाकात के बाद दोनों देशों के बीच मासिक उच्च स्तरीय बैठकों की शुरुआत हुई, जहां दोनों पक्षों ने सीमा प्रबंधन और द्विपक्षीय संबंधों के लिए अगले कदमों पर चर्चा की, जिसमें सीधी उड़ानें, वीजा सुविधा और शिक्षाविदों और पत्रकारों के आदान-प्रदान से जुड़े कार्यक्रम शामिल है। रिपोर्ट कहती है, “चीन संभवतः एलएसी पर तनाव कम होने का लाभ उठाकर द्विपक्षीय संबंधों को स्थिर करना चाहता है और अमेरिका-भारत संबंधों को और गहरा होने से रोकना चाहता है। हालांकि, भारत संभवतः चीन की कार्रवाइयों और इरादों को लेकर संशय में है। आपसी अविश्वास और अन्य अनसुलझे मुद्दे निश्चित रूप से द्विपक्षीय संबंधों को सीमित करते हैं।” इसमें कहा गया है कि चीन की राष्ट्रीय रणनीति 2049 तक ‘चीनी राष्ट्र के बड़े पुनरुत्थान’ को हासिल करने की है।

अमेरिका के युद्ध विभाग की रिपोर्ट में भारत-चीन को लेकर क्या खुलासा किया गया?
ओडिशाः बच्ची की ‘बलात्कार के बाद हत्या’, लोगों ने काटा बवाल

चीन बढ़ा रहा अपनी ताकत

चीन ने अपनी ‘प्रभाव-क्षमता, आकर्षण और घटनाओं को आकार देने की ताकत’ को एक नए स्तर तक पहुंचा लिया होगा, और उसके पास एक ‘विश्व-स्तरीय’ सेना होगी, जो ‘लड़ने और जीतने’ में सक्षम होगी तथा देश की संप्रभुता, सुरक्षा और विकास हितों की ‘दृढ़ता से रक्षा’ करेगी।” चीन तीन ‘मुख्य हितों’ का दावा करता है, जिन्हें ऐसे मुद्दे बताया गया है जो चीन के राष्ट्रीय पुनरुत्थान के केंद्र में हैं और उन पर उसका आधिकारिक रुख किसी भी तरह की बातचीत या समझौते के लिए खुला नहीं है। इनमें चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) का नियंत्रण, चीन के आर्थिक विकास को बढ़ावा देना और चीन की संप्रभुता और क्षेत्रीय दावों की रक्षा और विस्तार करना शामिल है।

डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व में संबंध मजबूत

रिपोर्ट में कहा गया है, “दक्षिण चीन सागर, सेनकाकू द्वीप समूह और भारत के पूर्वोत्तर राज्य अरुणाचल प्रदेश में क्षेत्रीय विवादों के बीच, चीन के नेतृत्व ने ताइवान और चीन के संप्रभुता दावों को शामिल करने के लिए 'मुख्य हित' शब्द का विस्तार किया है।” रिपोर्ट में कहा गया है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व में, अमेरिका और चीन के बीच संबंध "कई वर्षों में सबसे मजबूत" हैं, और युद्ध विभाग इस प्रगति को आगे बढ़ाने के प्रयासों का समर्थन करेगा।

संबंधित समाचार

No stories found.

कोलकाता सिटी

No stories found.

खेल

No stories found.
logo
Sanmarg Hindi daily
sanmarg.in