

कोलकाता : बंगाल के राज्यपाल और विश्वविद्यालयों के चांसलर डॉ. सी वी आनंद बोस ने गौर बंग विश्वविद्यालय के वीसी प्रोफेसर पवित्र चट्टोपाध्याय को उनके पद से हटा दिया है। वीसी पर आरोप है कि उन्होंने अपने कर्तव्य में लापरवाही बरती है। भ्रष्टाचार का भी आरोप सामने आते ही उन्हें तत्काल प्रभाव से हटा दिया गया है। राजभवन के एक अधिकारी ने बताया कि राज्यपाल का यह आदेश विश्वविद्यालय के महाविद्यालय निरीक्षक द्वारा प्रोफेसर पर कानूनी खर्चों के लिए पैसे मांगने का आरोप लगाने के कुछ दिनों बाद आया है। प्रोफेसर पवित्र चट्टोपाध्याय ने इस आरोप से इनकार किया है। राजभवन के अधिकारी ने बताया कि चांसलर के आदेश के माध्यम से प्रोफेसर पवित्र चट्टोपाध्याय को गौर बंग विश्वविद्यालय के वीसी के रूप में शक्तियों का प्रयोग करने और कर्तव्यों का निर्वहन करने के लिए दिया गया प्राधिकार तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया गया है। विश्वविद्यालय के महाविद्यालय निरीक्षक ने कथित अनियमितताओं को लेकर कलकत्ता उच्च न्यायालय में मामला दायर किया है, जिसमें दावा किया गया है कि अंतरिम कुलपति ने कानूनी खर्चों के लिए तीन लाख रुपये मांगे थे। अधिकारी ने कहा, ‘ऐसा आरोप गंभीर है। हम वीसी के पद पर ऐसे व्यक्ति को नहीं रख सकते जिस पर पैसे मांगने का आरोप हो।
दीक्षांत समारोह रद्द करने का मामला गरमाया
विश्वविद्यालय का दीक्षांत समारोह 25 अगस्त को आयोजित किया जाना था, लेकिन पश्चिम बंगाल सरकार के शिक्षा विभाग के निर्देश पर इसे रद्द कर दिया गया। उन्होंने कहा, ‘‘कुलाधिपति ने दृढ़ रुख अपनाया कि सरकार को विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता में हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है और उन्होंने आदेश दिया कि दीक्षांत समारोह निर्धारित समय पर ही आयोजित किया जाए। लेकिन वीसी ने इस निर्देश का पालन नहीं किया। राज्य द्वारा संचालित विश्वविद्यालय का दीक्षांत समारोह 2017 से निलंबित है। आरोप है कि शिक्षा विभाग और राज्यपाल कार्यालय के बीच गतिरोध के कारण ऐसा नहीं हो पाया है।