

मुंबई : मुंबई की एक सत्र अदालत ने घरेलू हिंसा के मामले में एक महिला को दी जाने वाली मुआवजा राशि 5 लाख रुपये से बढ़ाकर 1 करोड़ रुपये कर दी और कहा कि उसका पति ‘काफी अमीर’ है। अदालत ने कहा कि महिला का पति एक लिफ्ट कंपनी चलाता है, और उसका परिवार करोड़पति है।
अदालत ने मुआवजे के अलावा, महिला और उसकी बेटी को दिए जाने वाले मासिक गुजारा भत्ते को भी 1 लाख रुपये से बढ़ाकर 1.5 लाख रुपये कर दिया और कहा कि अपने पति के साथ रहते हुए शिकायतकर्ता द्वारा झेली गयी ‘शारीरिक और मानसिक यातना’ की ‘‘कल्पना भी नहीं की जा सकती।’ पिछले महीने सुनाए गए अपने आदेश में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (डिंडोशी न्यायालय) एस जे अंसारी ने फैसला सुनाया कि यह ध्यान में रखते हुए कि महिला ने 20 वर्षों तक ‘यातना और अपमान’ सहन किया, ऐसे में मजिस्ट्रेट द्वारा सुनाया गया 5 लाख रुपये का प्रारंभिक मुआवजा ‘बहुत कम’ है।
पीड़िता 41 वर्षीय गृहिणी है, जिसने घरेलू हिंसा से महिलाओं के संरक्षण अधिनियम के तहत मजिस्ट्रेट द्वारा फरवरी 2020 में पारित मुआवजे के आदेश को चुनौती दी थी। उसने आरोप लगाया कि दिसंबर 1997 में उसकी शादी के बाद से पति और ससुराल के लोगों ने उसे शारीरिक और मानसिक यातना दी। सत्र न्यायालय ने कहा कि लगभग 20 वर्षों के वैवाहिक जीवन में ‘पिटाई, गंभीर हमले, ताने और यहां तक कि वित्तीय तंगी’ झेलने के बाद महिला को अंतिम उपाय के रूप में भरण-पोषण के लिए कानूनी मदद लेने के लिए मजबूर होना पड़ा। अदालत ने कहा कि अपने पति के साथ रहते हुए महिला द्वारा झेली गयी ‘शारीरिक और मानसिक यातना’ की ‘कल्पना भी नहीं की जा सकती।’
महिला के पति ने दावा किया था कि वह अपनी पत्नी के ‘व्यवहार’ से परेशान है और उसकी वित्तीय स्थिति अब ‘खराब’ हो गयी है। पति ने कहा कि वह खुद के और अपने जुड़वां बेटों के किराये के मकान का भुगतान करता है तथा वह उनकी शिक्षा और रहने के खर्चों का खयाल रखता है, जिस कारण उसके पास कुछ भी नहीं बचता। हालांकि, अदालत ने कहा कि शिकायतकर्ता के साथ उसके पति ने घरेलू हिंसा की। अदालत ने कहा कि महिला के पति और ससुर के पास 2012 में जमीन और 1 करोड़ रुपये से अधिक कीमत का फ्लैट खरीदने की वित्तीय क्षमता थी।अदालत ने कहा कि पति अपनी पूरी कोशिश करने के बावजूद यह साबित नहीं कर सका कि उसकी वित्तीय स्थिति अच्छी नहीं है। रिकॉर्ड पर मौजूद सामग्री का हवाला देते हुए अदालत ने कहा कि वह व्यक्ति और उसका परिवार ‘करोड़पति’ है। यह देखते हुए कि वह ‘काफी अमीर’ है, मजिस्ट्रेट द्वारा शिकायतकर्ता के लिए सुनाया गया 5 लाख रुपये का मुआवजा ‘बहुत कम है।’