नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले में हिंदू संगठनों के सदस्यों ने एक मकबरे को मंदिर बताते हुए विरोध प्रदर्शन किया और प्रशासन से परिसर में प्रार्थना करने की अनुमति मांगी। हिंदू संगठनों ने दावा किया कि नवाब अबू समद का मकबरा ‘ठाकुर जी’ के एक प्राचीन मंदिर को तोड़कर बनाया गया था।
हिंदू संगठनों के विरोध प्रदर्शन के बाद फतेहपुर जिले में स्थित सदियों पुराने इस ढांचे के आसपास सुरक्षा-व्यवस्था के इंतजाम कड़े कर दिये गये। तनाव को देखते हुए कोतवाली, राधानगर, मालवान और हुसैनगंज सहित कई थानों से भारी पुलिस बल बुलाया गया है।
‘ठाकुर जी’ का मंदिर था
सोशल मीडिया पर प्रसारित वीडियो में हिंदू संगठनों के सदस्यों को कथित तौर पर हंगामा करते हुए, ढांचे के कुछ हिस्सों में तोड़फोड़ करते हुए और भगवा झंडा फहराते हुए देखा जा सकता है। भाजपा के जिला अध्यक्ष मुखलाल पाल ने चेतावनी दी थी कि वह हिंदू संगठनों के साथ मिलकर 11 अगस्त को उस जगह पर पूजा-अर्चना करेंगे।
उन्होंने दावा किया था कि सदियों पुराना यह ढांचा एक मंदिर था क्योंकि समाधि के अंदर एक ‘शिवलिंग’ स्थित है। यह स्थल ‘ठाकुर जी’ का मंदिर था, जिसे बाद में आक्रमणकारियों ने समाधि में बदल दिया था। भाजपा जिला अध्यक्ष द्वारा पूजा-अर्चना के आह्वान के बीच जिला प्रशासन ने परिसर को सील कर दिया, अवरोधक लगा दिए और परिसर में प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया।
कानून हाथ में लेने की इजाजत नहीं
पुलिस अधीक्षक (फतेहपुर) अनूप कुमार सिंह ने बताया, घटनास्थल व उसके आसपास पर्याप्त पुलिस बल तैनात किया गया है। हम शांति सुनिश्चित करने के लिए कड़ी निगरानी रख रहे हैं। किसी को भी कानून अपने हाथ में लेने की इजाजत नहीं दी जाएगी।
हस्तक्षेप की मांग
स्थानीय धार्मिक नेताओं और सामुदायिक समूहों का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था ‘मठ-मंदिर संरक्षण संघर्ष समिति’ ने जिला मजिस्ट्रेट रवींद्र सिंह को एक ज्ञापन सौंपकर मामले में हस्तक्षेप की मांग की। समिति ने आरोप लगाया कि मंदिर ‘बेहद जर्जर’ स्थिति में है, जिससे श्रद्धालुओं की सुरक्षा और शहर की सांस्कृतिक विरासत दोनों को खतरा है। वहीं राष्ट्रीय उलेमा काउंसिल ने भी जिला मजिस्ट्रेट को एक पत्र भेजकर प्रशासन से मकबरे के ऐतिहासिक स्वरूप से छेड़छाड़ न करने का आग्रह किया।
500 साल पुरानी इमारत
मकबरे के कार्यवाहक मोहम्मद नफीस ने बताया कि यह इमारत लगभग 500 साल पुरानी है। इसे बादशाह अकबर के पोते ने बनवाया था। सदियों पुराने इस स्थल पर अबू मोहम्मद और अबू समद की कब्र हैं।