नई दिल्ली: लगभग हर देश में, वहां के ‘शीर्ष’ स्कूलों की सूचियां नियमित रूप से सुर्खियां बटोरती हैं। हर साल 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं और स्कूलों के नतीजों के साथ रैंकिंग भी सामने आती है। इन रैंकिंग को देखकर अभिभावक अक्सर उत्सुकता से अपने बच्चे के स्कूल या संभावित स्कूलों के नाम ढूंढ़ते हैं।
स्वाभाविक रूप से हर माता-पिता चाहते हैं कि उनके बच्चे को अच्छी शिक्षा मिले, और ऐसे में रैंकिंग एक आसान मार्गदर्शक प्रतीत होती है। लेकिन, क्या मात्र रैंकिंग से तय होता है कि कौन-सा स्कूल सबसे अच्छा है? और इससे भी अहम बात यह है कि कौन-सा स्कूल आपके बच्चे के लिए उपयुक्त है?
रैंकिंग क्या मापती हैं?
स्कूलों की रैंकिंग मुख्यतः अकादमिक प्रदर्शन पर आधारित होती है। आंकड़े उपलब्धियों की एक झलक देते हैं और समय के साथ चलन दर्शाते हैं। लेकिन, मानकीकृत परीक्षाएं किसी स्कूल का सम्पूर्ण मूल्यांकन नहीं करतीं। अक्सर ये परिणाम शिक्षण गुणवत्ता के बजाय स्कूल के सामाजिक-आर्थिक परिवेश और संसाधनों की असमान उपलब्धता को अधिक दर्शाते हैं। उदाहरणस्वरूप, संपन्न क्षेत्रों के छात्र अपेक्षाकृत बेहतर प्रदर्शन करते हैं।
कुछ अन्य रैंकिंग में छात्रों की उपस्थिति और अभिभावक संतोष सर्वेक्षण जैसे मानक शामिल होते हैं, फिर भी उनका दायरा सीमित होता है। ये सूचियां यह नहीं दिखा सकतीं कि कक्षा के भीतर क्या हो रहा है? शिक्षक और छात्रों के बीच संबंध कैसे हैं? स्कूल मानसिक स्वास्थ्य, रचनात्मकता या विविधता को कितना महत्व देता है और सबसे महत्वपूर्ण बात यह भी है कि क्या आपका बच्चा वहां खुश रहेगा या नहीं, यह कोई रैंकिंग नहीं बता सकती।
इसके अतिरिक्त, यह भी मान लिया जाता है कि हर परिवार के पास स्कूल चुनने का विकल्प होता है। लेकिन, हर परिवार के पास निजी शिक्षा के लिए वित्तीय संसाधन या समय पर प्रतीक्षा सूची में नाम जोड़ने की सुविधा नहीं होती।
अध्ययन क्या कहता है?
शैक्षणिक प्रदर्शन जरूरी है, लेकिन यह किसी स्कूल की गुणवत्ता का एकमात्र मानक नहीं है। शोध से पता चलता है कि जब छात्र सुरक्षित, सम्मानित और प्रेरित महसूस करते हैं, तभी उनका सीखना बेहतर होता है। साल 2024 की यूनेस्को रिपोर्ट के अनुसार खुशी, संबंध और अपनापन ही सीखने और बेहतरी का आधार हैं। लगभग सभी देशों की सरकारों की छात्र कल्याण रूपरेखा भी सुरक्षा, समावेशन और छात्र के पक्ष को प्राथमिकता देने की बात करती है।
इसका अर्थ है कि अकादमिक के अलावा अन्य अवसर भी मायने रखते हैं— जैसे कला, खेल, व्यावसायिक शिक्षा और अन्य सह-पाठ्यक्रम गतिविधियां, जो छात्रों को आत्मविश्वास विकसित करने और सामाजिक संबंध बनाने का अवसर देती हैं। परिवार के मूल्यों की भूमिका भी महत्वपूर्ण होती है। एक स्कूल अकादमिक रूप से सशक्त हो सकता है, लेकिन अत्यधिक प्रतिस्पर्धी होने के कारण हर छात्र के अनुकूल नहीं होता। वहीं, एक छोटा स्कूल जिसकी परीक्षा रैंकिंग औसत हो, वह बच्चे के लिए एक बेहतर वातावरण प्रदान कर सकता है।
अपने बच्चे के लिए कैसे चुनें सही स्कूल?
अभिभावकों के लिए स्कूल चुनते समय ध्यान देना महत्वपूर्ण है।
स्कूल व्यक्तिगत रूप से जाएं क्योंकि रैंकिंग यह नहीं बता सकती कि स्कूल में जाकर कैसा महसूस होता है। खुद जा कर देखें कि शिक्षक और छात्र कैसे बातचीत करते हैं।
स्कूल से बात करें और शिक्षण पद्धति, कल्याण नीतियों और विविध छात्रों के लिए सहायता के बारे में पूछें।
संतुलन भी खोजें, केवल अंकों पर न जाएं। यह भी देखें कि क्या स्कूल संगीत, खेल, कला या व्यावसायिक कार्यक्रम भी देता है?
वहां पढ़ रहे बच्चों के परिवारों से भी पूछें क्योंकि उनकी राय से स्कूल की संस्कृति का बेहतर अंदाजा लग सकता है।
अपने बच्चे को भी समझने का प्रयास करें क्योंकि कुछ छात्र बड़े और प्रतिस्पर्धी स्कूलों में फलते-फूलते हैं, जबकि अन्य छोटे और सामुदायिक स्कूलों में बेहतर करते हैं।
रैंकिंग से आगे सोचें क्योंकि रैंकिंग सुर्खियां बनाती रहेंगी। लेकिन, स्कूल चुनने का यह एकमात्र तरीका नहीं होना चाहिए। एक अच्छा स्कूल परिवारों के साथ साझेदारी करता है, छात्र कल्याण को प्राथमिकता देता है और युवा लोगों को सशक्त, संवेदनशील नागरिक बनने में मदद करता है। यह हर बच्चे के लिए अलग हो सकता है और यह किसी अखबार की सूची में नहीं समा सकता। इसलिए अगली बार जब आप शीर्ष स्कूलों की खबर देखें, तो खुद से पूछें— कौन-सा वातावरण मेरे बच्चे को सीखने, अपनापन महसूस करने और आगे बढ़ने में मदद करेगा?