बिहार चुनावः सीमांचल में किसका खिलेगा फूल?

दूसरे चरण में 122 सीटों पर 1,302 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला करेंगे 3.7 करोड़ मतदाता
बिहार चुनावः सीमांचल में किसका खिलेगा फूल?
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पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे और अंतिम चरण में मंगलवार को 3.70 करोड़ मतदाता 122 सीटों पर 1,302 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला करेंगे। इनमें नीतीश कुमार मंत्रिमंडल के आधा दर्जन से अधिक मंत्री भी शामिल हैं।

दूसरे चरण में जिन जिलों में मतदान होना है, उनमें पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण, सीतामढ़ी, मधुबनी, सुपौल, अररिया और किशनगंज शामिल हैं, ये सभी नेपाल की सीमा से सटे हुए जिले हैं। अधिकारियों ने बताया कि चुनाव के मद्देनज़र पूरे राज्य में सुरक्षा के व्यापक इंतज़ाम किए गए हैं और चार लाख से अधिक सुरक्षाकर्मी चुनाव ड्यूटी में तैनात किए गए हैं। अधिकतर जिले सीमांचल क्षेत्र में आते हैं, जहां मुस्लिम आबादी का घनत्व अधिक है। ऐसे में यह चरण सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों के लिए बेहद अहम माना जा रहा है। एक ओर महागठबंधन अल्पसंख्यक समुदाय के समर्थन पर भरोसा कर रहा है, वहीं राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) विपक्ष पर “घुसपैठियों की रक्षा” का आरोप लगा रहा है।

कई वरिष्ठ नेताओं के भाग्य का होगा फैसला

प्रमुख उम्मीदवारों में जनता दल (यू) के वरिष्ठ नेता और राज्य मंत्रिमंडल के सबसे वरिष्ठ सदस्य बिजेंद्र प्रसाद यादव शामिल हैं, जो सुपौल सीट से लगातार आठवीं बार जीत दर्ज करने का प्रयास कर रहे हैं। भाजपा के वरिष्ठ नेता और राज्य सरकार के मंत्री प्रेम कुमार भी गया टाउन सीट से लगातार आठवीं बार चुनाव मैदान में हैं। उन्होंने 1990 से लगातार सात बार इस सीट पर जीत हासिल की है। इसके अलावा भाजपा की रेनू देवी (बेतिया), नीरेज कुमार सिंह ‘बबलू’ (छातापुर) और जद (यू) की लेशी सिंह (धमदहा), शीला मंडल (फुलपरास) तथा जामा खान (चैनपुर) की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी है। भाजपा के एक अन्य प्रमुख नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद कटिहार सीट से लगातार पांचवीं बार जीत दर्ज करने की कोशिश कर रहे हैं।

‘हम’ की प्रतिष्ठा दांव पर

कटिहार जिले की बलरामपुर और कदवा सीटों से क्रमशः भाकपा (माले) लिबरेशन के महबूब आलम और कांग्रेस के शकील अहमद खान लगातार तीसरी जीत के प्रयास में हैं। दूसरे चरण का चुनाव राजग के दो सहयोगी दलों—हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) और राष्ट्रीय लोक मोर्चा (रालोमो)—की ताकत की भी परीक्षा माना जा रहा है। दोनों दलों को छह-छह सीटें मिली हैं। ‘हम’ की सभी छह सीटों पर इसी चरण में मतदान होना है। इनमें इमामगंज, बाराचट्टी, टेकारी और सिकंदरा सीटें पार्टी के पास हैं और मौजूदा विधायक फिर से मैदान में हैं।

गौरतलब है कि हम प्रमुख और केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने इमामगंज सीट पिछले वर्ष लोकसभा चुनाव में गया से जीतने से पहले छोड़ी थी। उपचुनाव में यह सीट उनकी बहू दीपा मांझी ने जीती थी, जबकि बाराचट्टी सीट दीपा की मां ज्योति देवी के पास है। राष्ट्रीय लोक मोर्चा, जिसकी स्थापना दो वर्ष पहले हुई थी और अभी उसकी विधानसभा में कोई प्रतिनिधित्व नहीं है, इस बार छह उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं। इनमें पार्टी प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा की पत्नी स्नेहलता (सासाराम) और उनके करीबी सहयोगी माधव आनंद (मधुबनी) भी शामिल हैं, जो पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं। राज्य कांग्रेस अध्यक्ष राजेश कुमार राम (कुटुंबा) आरक्षित सीट से लगातार दूसरी बार जीत की कोशिश में हैं। मतदान 45,399 मतदान केंद्रों पर होगा, जिनमें से 40,073 ग्रामीण क्षेत्रों में हैं।

दलबदलुओं पर भी नजर

कई दलबदलू उम्मीदवार भी मैदान में हैं। इनमें मोहानिया की विधायक संगीता कुमारी शामिल हैं, जिन्होंने 2020 में राजद के टिकट पर जीत हासिल की थी और अब भाजपा से चुनाव लड़ रही हैं। नवादा की विधायक विभा देवी हाल ही में राजद छोड़कर जद (यू) में शामिल हुई हैं। इसी तरह कांग्रेस कोटे से मंत्री रहे मुरारी गौतम ने पिछले वर्ष नीतीश कुमार के भाजपा के साथ जाने के बाद राजग का रुख किया और अब वे लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के टिकट पर अपनी पुरानी सीट चेनारी से मैदान में हैं।

दूसरे चरण के 3.7 करोड़ मतदाताओं में 1.75 करोड़ महिलाएं हैं। इनमें से 2.28 करोड़ मतदाता 30 से 60 वर्ष की आयु के बीच हैं, जबकि 18-19 वर्ष के युवा मतदाताओं की संख्या 7.69 लाख है। नवादा जिले की हिसुआ सीट में सबसे अधिक मतदाता (3.67 लाख) हैं, जबकि लौरिया, चनपटिया, रक्सौल, त्रिवेणीगंज, सुगौली और बनमखी सीटों पर सबसे अधिक प्रत्याशी (22-22) मैदान में हैं। पहले चरण में 121 सीटों पर 65 प्रतिशत से अधिक मतदान हुआ था, जिसे राज्य का “अब तक का सबसे अधिक” मतदान बताया गया।

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