SIR विवाद के बीच तृणमूल सांसद CEC से मिले, कहा- उनके हाथ खून से सने हैं

डेरेक ओब्रायन के नेतृत्व में पार्टी के 10 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने निर्वाचन आयोग की पूर्ण पीठ (मुख्य निर्वाचन आयुक्त और दोनों निर्वाचन आयुक्त) से मुलाकात की।
SIR विवाद के बीच तृणमूल सांसद CEC से मिले, कहा- उनके हाथ खून से सने हैं
SALMAN
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नईदिल्लीः पश्चिम बंगाल में जारी मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के बीच, तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य डेरेक ओब्रायन के नेतृत्व में पार्टी के 10 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने शुक्रवार को यहां निर्वाचन आयोग की पूर्ण पीठ (मुख्य निर्वाचन आयुक्त और दोनों निर्वाचन आयुक्त) से मुलाकात की।

प्रतिनिधिमंडल में शामिल लोकसभा सदस्यों में शताब्दी रॉय, कल्याण बनर्जी, प्रतिमा मंडल, साजदा अहमद और महुआ मोइत्रा तथा राज्यसभा सदस्यों में डोला सेन, ममता ठाकुर, साकेत गोखले और प्रकाश चिक बरीक थे।

हमारे पांच सवालों में से किसी का भी जवाब नहीं मिला

सीईसी से मुलाकात के बाद ओब्रायन ने कहा, "हमने बैठक की शुरुआत ही यह कहते हुए की कि सीईसी के हाथ खून से सने हैं। हमने पांच सवाल उठाए। इसके बाद करीब 40 मिनट में कल्याण बनर्जी, महुआ मोइत्रा और ममता बाला ठाकुर ने अपनी बात रखी और जो कहना था वो कहा।" उन्होंने कहा, "इसके बाद सीईसी ने एक घंटे तक बिना रुके बात की। जब हम बोल रहे थे, तब हमें भी नहीं टोका गया, लेकिन हमे हमारे पांच सवालों में से किसी का भी जवाब नहीं मिला।"

लोकसभा सदस्य महुआ मोइत्रा ने बताया कि प्रतिनिधिमंडल ने मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) से मिलकर उन्हें 40 ऐसे लोगों की सूची सौंपी, जिनकी मौत कथित तौर पर एसआईआर प्रक्रिया से जुड़ी थी। हालांकि, उन्होंने कहा कि आयोग ने इन्हें केवल 'आरोप' कहकर खारिज कर दिया।

एसआईआर को जल्दीबाजी में लागू किया गया

वहीं इधर सांसदों के सीईसी से मुलाकात के बाद तृणमूल कांग्रेस के एक्स हैंडल से कहा गया कि चुनाव आयोग को भेजे गए हमारे प्रतिनिधिमंडल ने एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया है कि जिस तरीके से एसआईआर को जल्दबाजी में तैयार किया जा रहा है, वह न केवल अव्यावहारिक है, बल्कि यह पूरी तरह से खतरनाक, लापरवाहीपूर्ण और बेहद अन्यायपूर्ण है।

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और पार्टी महासचिव अभिषेक बनर्जी द्वारा आयोग को बार-बार चेतावनी दी गई कि सिर्फ दो महीनों में एसआईआर पूरा करना असंभव है। फिर भी, चुनाव आयोग बार-बार की चेतावनियों और मानवीय क्षति की अनदेखी करते हुए, ऐसे आदेशों का पालन कर रहा है जो स्पष्ट रूप से जीवन और निष्पक्षता पर पक्षपातपूर्ण लाभ को प्राथमिकता देते हैं। भयावह घटनाएं एक भयावह सच्चाई को उजागर करती हैं: भाजपा, एक दब्बू चुनाव आयोग की मदद से, सत्ता के लिए मानव जीवन की बलि देने को तैयार है।

ममता बनर्जी ने पत्र लिखकर चुनाव आयोग को चेताया

बैठक पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) ज्ञानेश कुमार को लिखे गए पत्र की पृष्ठभूमि में हुई, जिसमें उन्होंने हाल की दो चिंताओं पर उनके "तत्काल हस्तक्षेप" की मांग की है। मुख्यमंत्री बनर्जी ने राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) के उस निर्देश का उल्लेख किया, जिसमें जिला निर्वाचन अधिकारियों से संविदा आधारित डाटा-एंट्री कर्मियों और बांग्ला सहायता केंद्र के कर्मचारियों को एसआईआर, मतदाता सूची के शुद्धीकरण अभियान या अन्य चुनाव-संबंधी कार्यों में नहीं लगाने को कहा गया है।

इसके साथ ही उन्होंने निजी आवासीय परिसरों के भीतर मतदान केंद्र स्थापित करने के प्रस्ताव का भी हवाला दिया।

यह प्रतिक्रिया तृणमूल कांग्रेस के इस आरोप के बाद आई है कि राज्य में एसआईआर सत्यापन प्रक्रिया से जुड़ी मौत की कई घटनाएं सामने आई हैं। सआईआर प्रक्रिया फिलहाल पश्चिम बंगाल समेत 12 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में जारी है।

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