कोलकाता : मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने परिवहन विभाग के अधिकारियों को महानगर में बंद पड़ी ट्राम रूटों की पटरियों को लेकर चेताते हुए इसका कोई उचित समाधान निकालने को कहा है। सीएम ने यह भी कहा कि इन ट्राम की पटरियों से हादसों का खतरा बढ़ जा रहा है। हालांकि ट्राम से संबंधित मामला काेर्ट में विचाराधीन होने के कारण परिवहन विभाग इन ट्राम पटरियों को हटा नहीं पा रहा है। इस बीच, कोलकाता के प्रबुद्ध नागरिकों ने भी सीएम को चिट्टी भेजकर अपील की है कि ट्राम पटरियों पर बिटुमिनस ना डाला जाये। वहीं अब तक 11 ट्राम रूट बंद हो गये हैं जबकि 3 ट्राम रूट भी आखिरी सांस गिन रही है।
कोलकाता में फिलहाल 3 ट्राम रूटों पर ही चलती है ट्राम
यहां उल्लेखनीय है कि कोलकाता में ट्राम का इतिहास वर्षों पुराना है। पहले ट्राम के लिये पहचाने जाने वाले कोलकाता में अब केवल 3 ट्राम रूट ही संचालन में हैं। परिवहन विभाग के विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार, वर्ष 2011 से 2017 के बीच कोलकाता में 52 कि.मी. के डबल ट्रैक पर 18 रूटों पर ट्राम चलती थी जिसकी संख्या वर्ष 2020 तक कम होते-होते 36 कि.मी. के डबल ट्रैक पर 14 रूटों पर आ गयी। वहीं वर्ष 2020 से 2024 तक कोलकाता में केवल 18 कि.मी. के डबल ट्रैक पर 3 रूटों पर ही ट्राम चलती है।
कोर्ट के निर्णय तक नहीं हटायी जा सकती पटरियां
परिवहन विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि ट्राम से संबंधित मामला कोर्ट में है। जब तक कोर्ट का इस मामले में कोई फैसला नहीं आ जाता, तब तक परिवहन विभाग पटरियां नहीं हटा सकता। गत 8 मई 2023 को इस मामले में हाई कोर्ट के डिविजन बेंच ने आदेश दिया था कि कोर्ट द्वारा निर्णय लिये जाने तक जहां ट्राम नहीं चलती है, उन पटरियों पर पिच नहीं किया जा सकता। वहीं गत 21 जून 2023 को दिये गये आदेश में कलकत्ता हाई कोर्ट ने निलामी के द्वारा डब्ल्यूबीटीसी की किसी संपत्ति की बिक्री पर भी रोक लगा दी थी और एडवाइजरी कमेटी बनाने का निर्देश दिया था।
केएमडी ने दिया है यह प्रस्ताव
वहीं केएमडीए ने गत 31 अक्टूबर 2023 को एक रिपाेर्ट दी थी। इसमें बताया गया है कि विद्यापति सेतु और कालीघाट ब्रिज की हेल्थ स्टडी की गयी है। आवश्यक पुनः निर्माण के बाद इन ब्रिजों पर ट्राम सेवाओं की अनुमति दी जा सकती है। हालांकि बाघमारी ब्रिज पर पूरी हेल्थ स्टडी करने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है।गत 28 नवम्बर 2023 को एडवाइजरी कमेटी की तीसरी बैठक में कोलकाता पुलिस, केएमडीए और केएमसी ने वही बातें दोहरायी थी।
दिसम्बर में हुई सुनवाई में कोर्ट ने दिया है यह सुझाव
गत 11 दिसम्बर 2023 को कलकत्ता हाई कोर्ट ने ट्राम के मामले में सुझाव दिया था कि केवल कोलकाता पुलिस के विचारों से कोई निर्णय नहीं लिया जा सकता। ट्राम सेवाओं काे रिस्टोर करने के लिये कमेेटी बनायी गयी है। कोर्ट ने यह भी सुझाया कि बेहतर सीट, लाइटिंग सुविधा आदि देकर ट्राम कारों का आधुनिकीकरण करें।
यह कहना है एसाेसिएशन का : कलकत्ता ट्राम यूजर्स एसोसिएशन के प्रेसिडेंट देवाशीष भट्टाचार्य ने कहा, ‘मुख्यमंत्री को गलत सूचना दी जा रही है। पुलिस और फिरहाद हकीम की बातों के आधार पर सीएम ने पटरियों को हटाने की बात कही है। मैंने आरटीआई की थी जिसका जवाब मिला था कि गत 10 वर्षों में ट्राम की पटरी से हुए हादसे में एक मोटर साइकिल सवार की मौत हुई है। जहां तक पटरियों से बाइकों के फिसलने की बात है तो इससे संबंधित आरटीआई में मुझे जवाब आया था कि रासबिहारी क्रासिंग पर इस तरह के किसी हादसे की सूचना पुलिस के पास नहीं है जबकि रासबिहारी काफी व्यस्त इलाका है।’ महासचिव महादेव शी ने कहा, ‘यह दुर्भाग्य की बात है कि जब शहर की परिवहन व्यवस्था ध्वंस हो रही है, ऐसे में सीएम पटरियों को हटाने का निर्देश दे रही हैं।
सीएम कहती हैं कि ट्राम पटरियों के कारण हादसों में हर साल 2 से 3 लोगों की मौत होती है। हालांकि कितने लोग रैश ड्राइविंग के कारण मरते हैं, यह क्या सीएम जानती हैं ? कोलकाता पुलिस के आंकड़ों के अनुसार, 200 से अधिक लाेगों की मौत गत 5 वर्षों में सड़क हादसों में हुई है। मामला कोर्ट में है, ऐसे में सीएम कैसे पटरियों को हटाने की बात कह सकती हैं ? यूरोप समेत अन्य कई देशों में ट्रामों को प्राथमिकता दी जा रही है। ’
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