

नयी दिल्ली : भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने एफआईएच प्रो लीग में अपने प्रभावशाली प्रदर्शन का श्रेय ऑस्ट्रेलिया के महान फॉरवर्ड माइकल मैककेन की देखरेख में आयोजित एक सप्ताह के शिविर को दिया है, जिसमें खिलाड़ियों ने उनकी अत्याधुनिक तकनीक को समझ कर भुवनेश्वर में खेले गए मैचों में प्रतिद्वंद्वियों टीमों पर दबदबा बनाया। हरमनप्रीत सिंह की अगुवाई में पेरिस ओलंपिक की कांस्य पदक विजेता टीम ने घरेलू चरण में आठ प्रो लीग मैचों में से पांच में जीत दर्ज की। टीम को इस दौरान स्पेन, जर्मनी और इंग्लैंड से एक-एक मैचों में हार का सामना करना पड़ा जबकि उसने आयरलैंड को दोनों मैचों में 3-1 और 4-0 से हराया।
भारत फिलहाल 15 अंकों के साथ तालिका में इंग्लैंड और बेल्जियम के बाद तीसरे स्थान पर है। इंग्लैंड और बेल्जियम के नाम 16 अंक हैं। भारत ने मौजूदा सत्र में अब तक सबसे अधिक जीत दर्ज की हैं। उसके बाद इंग्लैंड, बेल्जियम और चौथे स्थान पर मौजूद जर्मनी हैं, जिन्होंने आठ मैचों के बाद चार-चार जीत हासिल की हैं। मैककेन ऑस्ट्रेलिया की उस सफल टीम का हिस्सा थे जिसने 2004 एथेंस ओलंपिक में स्वर्ण के अलावा 2005 में चेन्नई में चैंपियंस ट्रॉफी जीती थी।
मैककेन छह से 12 फरवरी तक भुवनेश्वर में थे। यह 47 साल का पूर्व खिलाड़ी लगभग आठ साल से जर्मनी अंडर-21 और सीनियर टीमों का मार्गदर्शन कर रहा है। भारत के अनुभवी फारवर्ड मनदीप सिंह ने कहा कि मैक्केन ने मैदानी गोल करने को लेकर छोटी-छोटी बारीकियों पर विशेष ध्यान दिया। मनदीप ने हॉकी इंडिया से जारी विज्ञप्ति में कहा, ‘यह एक बहुत अच्छा शिविर रहा और उन्होंने मैदान के अंदर के साथ मैदान के बाहर की भी जानकारी साझा की।
उन्होंने हमें खेल से जुड़ी अहम पहलुओं की कई छोटी क्लिप दिखाईं।’ मनदीप ने कहा, ‘मैंने विशेष रूप से ‘डी’ के अंदर बुनियादी बातों पर विशेष ध्यान दिया जिसमें गोल से दो फीट दूर लक्ष्य पर शॉट लगना शामिल था। मनदीप ने प्रो लीग के भारतीय चरण में कुछ बेहतरीन मैदानी गोल करके महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने आयरलैंड के खिलाफ भारत की 3-1 की जीत में शानदार गोल भी किया था। भारत के मुख्य कोच क्रेग फुल्टोन ने कहा कि इस छोटे शिविर से निश्चित रूप से युवाओं को काफी मदद मिली।
फुल्टोन ने कहा, ‘हमारे प्रो लीग अभियान से पहले माइकल का यहां आना बहुत अच्छा था। इससे विशेष रूप से टीम में युवाओं को मदद मिलेगी। यह एक छोटा शिविर था लेकिन बहुत प्रभावी था। हमने बहुत सारी बुनियादी चीजों पर काम किया और एक घंटे के ‘ऑफ-द-फील्ड’ सत्र भी किए ताकि खिलाड़ी भी उनके साथ बातचीत कर सकें। हम अगले साल विश्व कप और एशियाई खेलों से पहले इस तरह के और सत्र आयोजित करने की उम्मीद कर रहे हैं।’