

सिलीगुड़ी : एक ओर जहां छठ पूजा जैसे पावन पर्व की तैयारियां पूरे उत्तर भारत और खासतौर से बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के कई हिस्सों में भक्तिभाव से होती हैं, वहीं दूसरी ओर सिलीगुड़ी की सड़कों पर एक अलग ही तस्वीर देखने को मिल रही है। पिछले कुछ वर्षों से छठ पूजा के करीब आते ही कुछ व्यक्तियों, महिलाओं व बच्चों द्वारा इस धार्मिक अवसर का दुरुपयोग करते हुए चंदा संग्रह के नाम पर भीख मांगने की गतिविधियां बढ़ती जा रही हैं। इन लोगों को बांस के सूप में फूल-पत्ते रखकर "छठ पूजा" के नाम पर राह चलते लोगों से पैसे मांगते हुए देखा जाता है।
हर साल बढ़ रही है संख्या स्थानीय लोगों का कहना है कि यह दृश्य बीते दो-तीन वर्षों से आम हो गया है। छठ पूजा से लगभग एक महीने पहले ही ये लोग बांस के सूप लेकर सड़कों, ट्रैफिक सिग्नलों और बाजारों में सक्रिय हो जाते हैं। न तो इनके पास किसी पूजा समिति की पहचान है, न ही किसी आयोजन से वास्तविक जुड़ाव, केवल "छठ पूजा" कहकर लोगों की धार्मिक भावनाओं को छूकर पैसे की मांग की जाती है। विरोध पर भाग जाते हैं स्थानीय दुकानदारों और राहगीरों का कहना है कि जब इनसे कोई वाजिब सवाल पूछा जाता है या विरोध किया जाता है, तो ये लोग वहां से तेज़ी से भाग निकलते हैं। कई बार इनकी भाषा भी आपत्तिजनक हो जाती है।
एक स्थानीय निवासी ने बताया कि हम हर साल देखते हैं कि छठ से पहले कुछ लोग बिना किसी अनुमति या पहचान के सूप लेकर पैसे मांगते हैं। यह न तो दान है, न चंदा, यह सीधे-सीधे एक सुनियोजित तरीका है आम लोगों से पैसे लेने का।
धार्मिक भावनाओं से खिलवाड़? सामाजिक कार्यकर्ताओं का मानना है कि इस तरह की गतिविधियां न केवल भीख मांगने के तरीके को धार्मिक रंग देती हैं, बल्कि एक पवित्र पर्व की गरिमा को भी ठेस पहुंचाती हैं। छठ पूजा एक अनुशासित और शुद्धता पर आधारित पर्व है, और इसका नाम लेकर लोगों को गुमराह करना समाज के लिए खतरनाक संकेत है।