उच्च शिक्षा में बड़ा सुधार: विकसित भारत शिक्षा अधिष्ठान विधेयक JPC को भेजा गया

शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने विधेयक को समिति के पास भेजने का प्रस्ताव रखा, जिसे सदन ने स्वीकार कर लिया। यह विधेयक विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों को स्वतंत्र एवं स्व-शासन वाले बनाने का उद्देश्य रखता है।
उच्च शिक्षा में बड़ा सुधार: विकसित भारत शिक्षा अधिष्ठान विधेयक JPC को भेजा गया
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नई दिल्ली: लोकसभा ने ‘विकसित भारत शिक्षा अधिष्ठान विधेयक, 2025’ को संसद की संयुक्त समिति के पास भेजने को मंगलवार को ध्वनिमत से मंजूरी दे दी। शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने विधेयक को समिति के पास भेजने का प्रस्ताव रखा, जिसे सदन ने स्वीकार कर लिया। यह विधेयक विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों को स्वतंत्र एवं स्व-शासन वाले बनाने का उद्देश्य रखता है।

विपक्ष का विरोध और चिंताएं

विधेयक सोमवार को पेश किया गया था, जिसका कुछ विपक्षी सदस्यों ने कड़ा विरोध किया। कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि यह विधेयक शिक्षण संस्थानों की स्वायत्तता का उल्लंघन करता है और राज्य कानूनों से स्थापित संस्थानों की स्वतंत्रता को प्रभावित करेगा। वहीं, आरएसपी के एन.के. प्रेमचंद्रन ने विधेयक के हिंदी नाम पर आपत्ति जताई, कहते हुए कि दक्षिण भारत के सांसदों को इसका उच्चारण करने में कठिनाई हो रही है और नाम अंग्रेजी में होना चाहिए।

सरकार का पक्ष और समिति भेजने का निर्णय

संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने सदन में कहा कि विधेयक पेश करना संसद की विधायी क्षमता के अंतर्गत है और इसके गुण-दोष पर चर्चा बाद में होगी। उन्होंने बताया कि कार्य मंत्रणा समिति की बैठक में कई सदस्यों ने विधेयक को व्यापक बताते हुए अधिक चर्चा की मांग की थी, इसलिए सरकार इसे संयुक्त समिति को भेजने का प्रस्ताव लाई है।

विधेयक के प्रमुख प्रावधान

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस विधेयक को शुक्रवार को मंजूरी दी थी। यह संविधान की संघ सूची की प्रविष्टि 66 के तहत लाया गया है। विधेयक में विकसित भारत शिक्षा अधिष्ठान की स्थापना प्रस्तावित है, जिसमें तीन परिषदें होंगी: विकसित भारत शिक्षा विनियमन परिषद, विकसित भारत शिक्षा गुणवत्ता परिषद और विकसित भारत शिक्षा मानक परिषद।

यह यूजीसी अधिनियम 1956, एआईसीटीई अधिनियम 1987 और एनसीटीई अधिनियम 1993 को निरस्त करेगा। सभी उच्च शिक्षण संस्थान इसके दायरे में आएंगे, जबकि राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों की मौजूदा स्वायत्तता बरकरार रहेगी। यह विधेयक राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की परिकल्पना पर आधारित है, जो उच्च शिक्षा में समन्वय, मानक निर्धारण और स्वायत्तता को बढ़ावा देता है।

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