

योग मुद्रा शरीर, विशेषकर हाथों और उंगलियों की प्रतीकात्मक भंगिमाएँ होती हैं, जो शरीर में प्राण (जीवन ऊर्जा) के प्रवाह को निर्देशित और संतुलित करने के लिए योग, ध्यान और प्राणायाम में उपयोग की जाती हैं, जिससे शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य बेहतर होता है।
ज्ञान मुद्रा क्या है?
ध्यान करने वाले लोग मुद्राओं का उपयोग करते हैं। मुद्राएं उंगलियों और हाथों की विशेष स्थिति होती हैं जो मन को एकाग्र करने के लिए प्रेरित करती हैं। एक बार मन एकाग्र हो जाए और ऊर्जा हाथों की ओर निर्देशित हो जाए, तो तंत्रिका तंत्र आराम करने लगता है। ज्ञान मुद्रा को सबसे महत्वपूर्ण मुद्राओं में से एक माना जाता है। इसका उपयोग हजारों वर्षों से ध्यान को बढ़ाने के लिए किया जाता रहा है।
ज्ञान मुद्रा विशेष रूप से अंगूठे को तर्जनी से जोड़कर आंतरिक ज्ञान को बढ़ावा देने में सहायक होती है। भारतीय चिकित्सा प्रणाली (आयुर्वेद) और चीनी चिकित्सा प्रणाली (एक्यूपंक्चर) दोनों ही यह सिखाती हैं कि अंगूठे और तर्जनी में विशिष्ट दबाव बिंदु और ऊर्जा होती है जो एक साथ दबाने पर सक्रिय हो जाती हैं। यह सक्रियता ज्ञान प्राप्त करने के लिए आवश्यक आंतरिक संतुलन और शांति उत्पन्न करती है।
कैसे करें
● पद्मासन या सुखासन में बैठें। दोनों हाथों के ऊपरी भाग को धीरे से जांघों पर रखें, हथेलियाँ ऊपर की ओर हों।
●अपनी तर्जनी अंगुली को अंगूठे से स्पर्श करें। दोनों अंगुलियों को धीरे-धीरे एक दूसरे के चारों ओर घुमाएँ। अपनी धड़कती नाड़ी से ऊर्जा का अनुभव करें। बाकी अंगुलियों को सीधा और एक साथ फैलाएँ।
●अपने कंधों को पीछे और नीचे की ओर घुमाएं ताकि आप सीधे बैठ सकें। कल्पना करें कि एक रस्सी आपके सिर के ऊपरी हिस्से को आकाश की ओर खींच रही है।
●सांस लें। चाहें तो ध्यान करें या बस पेट से ऊपर उठती हुई सांस को नाक तक ठंडक पहुंचाते हुए महसूस करने का आनंद लें।
लाभ
●मन को शांत करता है और एकाग्रता, रचनात्मकता और स्मृति को बढ़ाता है।
●अनिद्रा, चिंता और अवसाद को कम करता है।
●यह अंतःस्रावी तंत्र (मनोदशा, नींद, वृद्धि, प्रजनन और चयापचय जैसे हार्मोन को नियंत्रित करने वाली ग्रंथियां) को उत्तेजित करता है।
●यह पिट्यूटरी ग्रंथि (थायरॉइड को नियंत्रित करती है) और नर्वस सिस्टम (तंत्रिका तंत्र) को संतुलित करता है।
●यह श्वसन प्रणाली को शुद्ध करता है, मस्तिष्क को उत्तेजित करता है।