

कोलकाता : मधुमेह यानी हाई ब्लड शुगर केवल हृदय, किडनी या आंखों को ही नहीं बल्कि पैरों को भी गंभीर रूप से प्रभावित करता है। डॉक्टरों के अनुसार, लंबे समय तक ब्लड शुगर का स्तर नियंत्रित न रहने से पैरों की नसें और रक्त संचार प्रणाली क्षतिग्रस्त हो जाती हैं, जिससे ‘डायबिटिक फुट अल्सर’ जैसी गंभीर स्थिति उत्पन्न होती है।
मधुमेह से ग्रसित व्यक्ति के पैरों की नसों को धीरे-धीरे नुकसान पहुंचता है, जिससे संवेदनशीलता कम हो जाती है। इस कारण यदि पैर में कोई चोट या छिलन हो भी जाए तो दर्द महसूस नहीं होता। वहीं, ब्लड फ्लो कम होने से घाव जल्दी ठीक नहीं होते और संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। कई बार यह स्थिति बढ़ते-बढ़ते गैंग्रीन या अंग काटने (अम्प्यूटेशन) तक जा सकती है।
प्रमुख लक्षण
डॉक्टरों का कहना है कि मधुमेह रोगियों को पैर में सुन्नपन, झुनझुनी, जलन, सूजन, त्वचा फटना, छाले, रंग बदलना या घाव का न भरना जैसे लक्षणों पर तुरंत ध्यान देना चाहिए। पैरों से बदबू आना या फोड़े-फुंसी होना भी संक्रमण के संकेत हैं।
विशेषज्ञ की राय
डॉ. उत्तियो गुप्ता ने बताया, ‘डायबिटिक फुट पुरुषों में महिलाओं की तुलना में लगभग 1.5 गुना अधिक पाया जाता है। पुरुषों में इसकी संभावना उम्र के साथ बढ़ती जाती है। लंबे समय से मधुमेह से पीड़ित मरीजों में डायबिटिक फुट का खतरा और अधिक होता है। रोकथाम ही इसका सबसे महत्वपूर्ण उपाय है।
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मधुमेह रोगियों को नंगे पैर चलने से पूरी तरह बचना चाहिए। उन्हें रोजाना अपने पैरों की जांच करनी चाहिए, कम से कम दिन में एक बार पैर धोकर देखना चाहिए कि कहीं कोई फंगल संक्रमण या घाव तो नहीं हो रहा है। यदि कोई समस्या दिखे, तो तुरंत अपने चिकित्सक या डायबिटीज विशेषज्ञ से संपर्क करें। समय पर जांच और देखभाल से इस समस्या से बचा जा सकता है।
कैसे करें बचाव
डॉक्टरों का सुझाव है कि मधुमेह रोगी रोजाना अपने पैरों की सफाई करें और उन्हें अच्छी तरह सुखाएं, विशेषकर अंगुलियों के बीच पैरों की रोज जांच करें कि कहीं कोई कट, छिलन या दरार तो नहीं है।
मॉइश्चराइजर का उपयोग करें ताकि त्वचा रूखी या फटी न रहे
नंगे पैर चलने से बचें और आरामदायक जूते पहनें
ब्लड शुगर का स्तर नियंत्रित रखें
धूम्रपान से दूर रहें और संतुलित आहार व व्यायाम को जीवनशैली का हिस्सा बनाएं