कहीं आप स्लीप सिंड्रोम के शिकार तो नहीं?

अनिद्रा रोग से पीडि़त लोगों को हार्ट अटैक व ब्रेन स्ट्रोक का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।
कहीं आप स्लीप सिंड्रोम के शिकार तो नहीं?
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कई लोगों की नींद रात में बार-बार टूटती है या वह बिस्तर पर लेटे तो रहते हैं पर करवटें बदलते रहते हैं। ऐसे लोग स्लीप सिंड्रोम के शिकार होते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार नींद दो तरह की होती है-गहरी और कच्ची नींद। गहरी नींद न आने की कई वजहें हैं यथा शारीरिक, मानसिक, कैफीन पेयों का अधिक सेवन, बिलकुल श्रम न करना आदि। लोग अभी इस बात के लिए जागरूक नहीं हैं कि गहरी नींद शरीर, मन और दिमाग के लिए कितनी जरूरी है। अगर आप भी स्लीप सिंड्रोम के शिकार हैं तो डाक्टर से परामर्श अवश्य करें और स्वयं को कई बीमारियों से बचाएं।

नींद न आने के कारण

सोने का समय निश्चित न होना-अक्सर लोगों के सोने का समय निश्चित नहीं होता। निश्चित समय पर न सोने वाले लोग रात्रि में प्रापर नींद नहीं ले पाते।

सोने से पहले टीवी देखना-अक्सर कामकाजी लोगों को आदत होती है कि सोने से पूर्व डेढ़- दो घंटे टीवी देखते हैं। नींद भगाने में टीवी देर तक देखने का बहुत बड़ा हाथ है।

अधिक कैफीन भी नींद भगाती है-जो लोग दिन में दो या तीन कप से अधिक चाय कॉफी लेते हैं उनके शरीर में कैफीन की मात्रा काफी चली जाती है जो नींद भगाने में सहायक होती है। विशेषकर सोने से दो तीन घंटे पूर्व चाय काफी का सेवन न करें।

Summary

ध्यान दें

अनिद्रा रोग से पीडि़त लोगों को हार्ट अटैक व ब्रेन स्ट्रोक का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। इनके अलावा वजन बढ़ता है, बीपी बढ़ने लगता है और हार्ट बीट अनियमित होने का खतरा भी बढ़ता है। पक्की नींद आपको अगले दिन की भागदौड़ के लिए तैयार करती है और ब्रेन को तंदुरुस्त रखती है ताकि आप दिमागी रूप से ठीक फैसले ले सकें।

क्षमता से अधिक व्यायाम करना-विशेषज्ञों के अनुसार क्षमता से अधिक व्यायाम करना शरीर को अधिक थका देता है। इसी प्रकार शारीरिक परिश्रम भी क्षमता से अधिक करने पर उसका प्रभाव नींद पर पड़ता है।

भाग-दौड़ वाला रूटीन- बहुत बार भाग दौड़ के चलते भी प्रॉपर नींद नहीं आती क्योंकि सोते समय ध्यान बार बार उन कामों की ओर चला जाता है जो अभी पूरे नहीं हुए होते। विशेषज्ञों के अनुसार रात में सोने से कुछ घंटे पूर्व यानी एक दो घंटे पहले पेंडिंग कामों को याद मत करें।

शादीशुदा जिंदगी की समस्याएं- कभी कभी शादी के बाद समस्याएं बढ़ जाती हैं जो आपकी अच्छी नींद में बाधा बनती हैं। अगर शादीशुदा जिंदगी खुशहाल है तो नींद अच्छी आएगी और उलझनों से भरी है तो नींद नहीं आएगी। अपनी समस्याओं का समाधान खोजने का प्रयास करें।

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 स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं-कई बार स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के कारण नींद पूरी नहीं होती जैसे गले में इंफेक्शन, खांसी-जुकाम, शरीर के किसी हिस्से में दर्द, चोट लगना आदि। सर्दी-जुकाम में फेफड़ों में हवा प्रॉपर नहीं पास होती तब भी बार बार नींद खुल जाती है बीमारी का इलाज समय पर करवाएं।

बढ़ी आयु की वजह से भी-स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार ज्यों ज्यों आयु बढ़ती जाती है, गहरी नींद की मात्रा कम होती जाती है। बढ़ती आयु में नींद कच्ची हो जाती है। कभी मूत्र त्यागने के कारण खुलती है तो कभी थोड़ी सी आहट होने पर, इसलिए बढ़ती आयु के साथ इसे परेशानी का कारण न मानकर स्वीकारें कि अब हमारी नींद दिन प्रतिदिन कम ही होनी है।

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