क्रोध और चिड़चिड़ापन कमजोरी की निशानी

हम प्रायः अपने अपने दुःखों से उतना दुःखी नहीं होते जितना दूसरों के सुखों से ईर्ष्या करते हैं। दूसरे के वैभव एवं लग्ज़री को देख कर कुंठित हो उठते हैं।
क्रोध और चिड़चिड़ापन कमजोरी की निशानी
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कोलकाता: किसी भी व्यक्ति का कुशल एवं बैलैंस्ड व्यवहार-उसके सुन्दर एवं संतुलित जीवन का दर्पण होता है। ऐसा व्यक्ति अपने इष्ट मित्रों, बन्धु-बांधवों में, श्रेष्ठ एवं प्रतिष्ठित माना जाता है। कहा भी गया है कि हमें दूसरों से वैसा व्यवहार कदापि नहीं करना चाहिए जैसा हम स्वयं के साथ-पसन्द नहीं करते। अच्छी व्यवहार कुशलता प्रभु का एक दिव्य वरदान होता है। यदि आप दूसरों का ध्यान रखें तो वे स्वतः ही आप का स्वागत एवं अभिनन्दन करेंगे। कई बार हमारी कुण्ठा के कारण हमारा व्यवहार चिड़चिड़ा, खिजाऊ, शक्की एवं कुण्ठित हो जाता है। यदि हम चिड़चिड़ेपन का पल्लू पकड़ लेंगे तो जल्दी ही हम अपनों में बेगाने हो जाएंगे। स्त्रियां ही नहीं, पुरुष भी चिड़चिड़े स्वभाव के पाए गए हैं।

स्त्रियों पर घरेलू जिम्मेदारी बनती है चिड़चिड़ापन का कारण

स्त्रियां प्रायः घरेलू परिस्थितियों के बोझ तले इतनी दब जाती हैं कि वे जल्दी ही छोटी-छोटी बातों से खीज जाती हैं। खीजना या चिड़चिड़ापन विकसित कर लेना रुग्ण मानसिकता का परिचायक है। वह प्रायः अपनी कुण्ठा को दूसरों को अपमानित करके शांत कर लेती हैं। ऐसी तुनक मिजाजी स्त्रियां परिवार के लिए समस्या का कारण बन जाती हैं। अपने बच्चों पर बात बात पर अकारण बरस पड़ना उनका प्रतिदिन का काम हो जाता है जिसके कारण परिवार के सभी सदस्यों को परेशानी होने लगती है।

हम प्रायः अपने अपने दुःखों से उतना दुःखी नहीं होते जितना दूसरों के सुखों से ईर्ष्या करते हैं। दूसरे के वैभव एवं लग्ज़री को देख कर कुंठित हो उठते हैं। यह प्रवृत्ति बहुत से नर-नारियों में होती है। बहुत कम लोग इस दुर्गुण से दूर रहते हैं। ऐसे लोग सब जगह इज्जत पाते हैं और सुख भोगते हैं। हंसमुख एवं व्यवहार कुशल लोगों को सब पसंद करते हैं।

व्यावहारिक आदतें परेशां करती है

प्रायः जब हम दूसरों के व्यवहार को पसन्द नहीं करते, वह हमारे अनुरूप कार्य नहीं करता तो हम कुंठित होकर चिड़चिड़े हो जाते हैं। बात-बात पर खीज जाते हैं। प्रतिकूल सोच विचार के कारण हमारे स्नायुतंत्र पर अनावश्यक बोझ पड़ता है। जहर पैदा होते हैं,एंटी बॉडी पैदा होते हैं जिनके कारण कुंठा उपजती है। ऐसे समय में शांत रहने का प्रयास करना चाहिए। खुशमिजाज एवं हास्यपूर्ण सोच बनाएं। इससे बहुत से बिगड़े सम्बन्ध जुड़ जाते हैं। बिगड़ती बात बन जाती है। मन में किसी भी प्रकार का कांपलेक्स न आने दें।

आप मन में सोचें कि आप दुनिया की सर्वश्रेष्ठ कृति हैं, आपको भगवान ने कोई विशेष कार्य करने के लिए भेजा है। आप निर्धारित कार्य करें तो आपको मानसिक प्रसन्नता मिलेगी। चिड़चिड़ेपन कुंठा-झल्लाहट से निकलने की कुछ चेष्टा आप करेंगे तो आपके व्यक्तित्व को चार चांद लग सकते हैं। आप सर्वप्रिय हो सकते हैं।

इन तरीकों से करे बचाव

अपनी बातें मत हांकें, दूसरों की बातें सुनें, दूसरों के गुणों को अपनाएं। दूसरों की उन्नति देखकर खुश होएं।

बात-बात पर क्रोधित न हों। क्रोध करना कमजोरी की निशानी है। क्रोध में आप निर्णय नहीं ले सकते, सोचकर नहीं बोल सकते। अनाप शनाप बोलेंगे। इस प्रवृत्ति से बचें।

अपनी समस्याओं का समाधान स्वयं ढूढें। दुनिया हंसने वाले के साथ हंसती है, रोने वाले के साथ कोई नहीं रोता। सुख में सब साथी, दुःख में न कोई। अपने दुःखों,तकलीफों, कमियों का रोना दूसरों से न करें।

अपने मन की बात हर किसी को मत बताएं लेकिन कोई एक मित्र, सखी, सहेली, पारिवारिक सदस्य ऐसा ज़रूर हो जिससे आप विचारों का आदान प्रदान कर सकें ताकि आप के मन का बोझ हल्का हो सके और जरूरी समाधान भी प्राप्त हो सके।

अपने जीवन को एक सुन्दर मनोरम पर्वत जैसा बनाएं। अपने स्वभाव एवं पसन्द के अनुसार अपना घर, दफ्तर, दुकान, वातावरण सजाएं। जीवन आपको सार्थक लगेगा। दूसरे आपका सम्मान करेंगे। अपनी इज्जत आप स्वयं करें तो दूसरे भी करेंगे।

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