Sharadiya Navratri : हाथी पर सवार होकर आएंगी मां दुर्गा, जानें नवरात्रि की डेट, कलश स्‍थापना की …

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कोलकाता : इस साल नवरात्रि की शुरुआत 15 अक्टूबर, रविवार से शुरू हो रही है और इसका समापन 23 अक्टूबर सोमवार के दिन होगा। वहीं 24 अक्टूबर को विजयादशमी यानी दशहरा का पर्व मनाया जाएगा। ज्योतिषियों के साथ भक्तों में भी आदिशक्ति मां दुर्गा की सवारी को लेकर कौतूहल बना रहता है कि इस बार देवी दुर्गा किस वाहन पर सवार होकर आएंगी और किस वाहन पर प्रस्थान करेंगी।
मां दुर्गा की सवारी देता है संकेत
यूं तो माता शेरोवाली की सवारी शेर है, लेकिन नवरात्रि में इनके आगमन का विशेष महत्व माना गाया है। नवरात्रि में मां दुर्गा जिस वाहन पर सवार होकर आती है उसका बड़ा महत्व होता है। हस साल मां दुर्गा किसी ना किसी वाहन पर सवार होकर आती है। मां दुर्गा के आगमन और प्रस्थान दोनों का अलग-अलग महत्व होता है। आदिशक्ति माता दुर्गा के वाहन से सुख समृद्धि का पता लगाया जा सकता है।
हाथी पर सवार होकर आएंगी मां
दरअसल, हर बार मां दुर्गा की सवारी आने वाले समय को लेकर भविष्यवाणी करती है। इस भविष्यवाणी में देखा जाता है कि इनके आगमन और प्रस्थान कौन से शुभ और अशुभ फल देता है। ऐसे में जानेंगे कि इस साल शारदीय नवरात्र में किस वाहन पर देवी दुर्गा सवार होकर आ रही हैं और इसका क्या फल मिलेगा। इस बार माता रानी हाथी पर सवार होकर आ रही है। हाथी पर सवार होकर आना जल की वृद्धि को दर्शाता है, ऐसे में इस बार पानी की कमी नहीं रहेगी। इन 9 दिनों के शारदीय नवरात्रि में माता के 9 स्वरूपों की पूजा-अर्चना की जाएगी। वहीं मां जगदम्बे मुर्गे पर सवार होकर लौटेंगी।
शारदीय नवरात्रि 2023 कैलेंडर
15 अक्टूबर 2023 रविवार- मां शैलपुत्री की पूजा
16 अक्टूबर 2023 सोमवार- मां ब्रह्मचारिणी की पूजा
17 अक्टूबर 2023 मंगलवार- मां चंद्रघंटा की पूजा
18 अक्टूबर 2023 बुधवार- मां कूष्मांडा की पूजा
19 अक्टूबर 2023 गुरूवार- मां स्कंदमाता की पूजा
20 अक्टूबर 2023 शुक्रवार- मां कात्यायनी की पूजा
21 अक्टूबर 2023 शनिवार- मां कालरात्रि की पूजा
22 अक्टूबर 2023 रविवार- मां सिद्धिदात्री की पूजा
23 अक्टूबर 2023 सोमवार- मां महागौरी की पूजा
24 अक्टूबर 2023 मंगलवार- विजयदशमी (दशहरा)
कलश स्‍थापना कब
शारदीय नवरात्रि की शुरुआत कलश स्थापना से की जाती है और कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त 15 अक्टूबर 2023 को सुबह 11:44 से शुरू होकर दोपहर 12:30 तक रहेगा। इस दौरान भक्त अपने घर में या पांडाल में कलश स्थापना कर सकते हैं, इसके साथ ही पहले दिन माता रानी के स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा अर्चना की जाती है।
आदिशक्ति माता दुर्गा का वाहन देता है ये संकेत
शास्त्रों के अनुसार घट स्थापना के दिन रविवार या सोमवार हो तो माता दुर्गा का वाहन हाथी होता है यानी दुर्गा माता हाथी पर सवार होकर आती हैं। इस बाद नवरात्र की शुरुआत रविवार को हो रही है, ऐसे में दुर्गा मां हाथी पर सवार होकर आएगी। अगर नवरात्र की शुरुआत शनिवार या मंगलवार को हो तो दुर्गा माता घोड़ा पर सवार होकर आती है। वहीं नवरात्र की शुरुआत गुरुवार या शुक्रवार को हो तो माता डोली पर सवार होकर आती है। घट स्थापना बुधवार को हो तो दुर्गा माता नौका पर सवार होकर आती है। दुर्गा माता इस बार मुर्गे की सवारी करके प्रस्थान करेंगी। जानकारों के अनुसार यदि देवी दुर्गा का वाहन मुर्गा होता है तो यह आपदाओं का संकेत देती है। यह वाहन भविष्य में आने वाले संकट की तरफ इशारा करती है।
मां के नौ रूपों की होती है पूजा
नवरात्रि के पावन मौके पर मां शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायिनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। इन सभी देवियों का विशेष महत्व माना गया है। इन सभी देवियों की पूजा करने से नवग्रहों की शांति होती है। देवी के अलग-अलग वाहनों पर सवार होकर आने से देश और जनता पर इसका असर भी अलग-अलग होता है। मां दुर्गा नवरात्र में सिंह के बजाय दूसरी सवारी पर सवार होकर पृथ्वी पर आती हैं।
शास्त्रों में कहा गया है कि -शशिसूर्ये गजारूढ़ा शनिभौमे तुरंगमे।
गुरौ शुक्रे चदोलायां बुधे नौका प्रकी‌र्त्तिता ।।
मां दुर्गा आती भी वाहन से हैं और जाती भी वाहन से हैं, यानी जिस दिन नवरात्र का अंतिम दिन होता है, उसी के अनुसार देवी का वाहन भी तय होता है।

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