राजस्थान में पानी की कमी वाले क्षेत्र के लिए यमुना जल परियोजना को मिली गति

केंद्रीय जल शक्ति मंत्री पाटिल ने उपराष्ट्रपति धनखड़ से मुलाकात कर जलापूर्ति के मुद्दे पर चर्चा की
जलापूर्ति के मुद्दे पर चर्चा
जलापूर्ति के मुद्दे पर चर्चा
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नयी दिल्ली/ जयपुर : केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सी आर पाटिल ने बुधवार को उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ से मुलाकात कर राजस्थान के झुंझुनू, सीकर और चूरू जिलों में जलापूर्ति के मुद्दे पर चर्चा की। सूत्रों के अनुसार, हथिनीकुंड बैराज से भूमिगत पाइपलाइन के जरिए राजस्थान में पानी पहुंचाने के प्रयासों के तहत यह बैठक हुई है।

इस संबंध में राजस्थान और हरियाणा सरकार द्वारा यमुना जल समझौते को लागू करने के लिए गठित कार्यबल की संयुक्त बैठक सात अप्रैल को हुई थी। सूत्रों ने यह भी बताया कि दूसरी संयुक्त बैठक 25 अप्रैल को हुई थी।

पाइपलाइन के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करने को लेकर जल्द ही एक सलाहकार नियुक्त किया जाएगा। उपराष्ट्रपति और केंद्रीय मंत्री के बीच यह बैठक ऐसे समय में हुई है जब हाल ही में झुंझुनू जिले के चिड़ावा कस्बे के लाल चौक पर किसानों ने यमुना जल की मांग को लेकर प्रदर्शन किया था। झुंझुनू धनखड़ का गृह जिला है।

इस परियोजना का उद्देश्य विशेष रूप से जल की कमी वाले झुंझुनू, सीकर और चूरू जिलों में पेयजल आपूर्ति सुनिश्चित करना है। सूत्रों ने बताया कि हाल के घटनाक्रम और क्षेत्र के जल संकट के स्थायी समाधान पर धनखड़ के जोर को देखते हुए यमुना जल समझौते के जमीनी स्तर पर क्रियान्वयन की संभावनाएं मजबूत हुई हैं।

राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के बीच 1994 में हुए एक समझौते के तहत यमुना नदी का 11,983 मिलियन क्यूबिक मीटर (एमसीएम) पानी आवंटित किया गया था, जिसमें से राजस्थान को सालाना 1,119 एमसीएम पानी आवंटित किया गया था।

समझौते के अनुरूप, ऊपरी यमुना नदी बोर्ड (यूवाईआरबी) की 22वीं बैठक 2001 में आयोजित की गई, जिसमें मानसून (जुलाई से अक्टूबर) के दौरान राजस्थान को 1,917 क्यूसेक (वार्षिक 577 एमसीएम के बराबर) पानी आवंटित करने का निर्णय लिया गया।

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