

कोलकाता : नागरिकता पाने को लेकर एक एनजीओ की तरफ से दायर पीआईएल को हाई कोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस सुजय पाल और जस्टिस चैताली चटर्जी दास के डिविजन बेंच ने सोमवार को खारिज कर दिया। डिविजन बेंच ने अपने आदेश में कहा है कि इससे प्रभावित लोग व्यक्तिगत रूप से आवेदन कर सकते हैं।
इस बाबत पीआईएल दायर नहीं की जा सकती है। इसमें कोई मेरिट नहीं है। एक्टिंग चीफ जस्टिस ने पीटिशनर से कहा कि पीआईएल वापस ले लीजिए, पर उसके इनकार करने पर डिविजन बेंच ने इसे खारिज कर दिया। एक्टिंग चीफ जस्टिस ने कहा कि उन्होंने इसके मेरिट पर विचार नहीं किया है।
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एडवोकेट प्रभात श्रीवास्तव ने जानकारी देते हुए बताया कि नागरिकता पाने के लिए करीब 50 हजार लोगों ने आवेदन किया है। उनका आवेदन केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय में लंबित पड़ा है। उन्हें न तो खारिज किया गया है और न ही स्वीकार किया गया है। इस पीआईएल में आवेदन किया गया था कि नागरिकता पाने के लिए दिए गए आवेदन की प्राप्ति के रूप में जो रसीद दी गई है उसे चुनाव आयोग की तरफ से निर्धरित 12 शर्तों के साथ जोड़ा जाए। अगर ऐसा नहीं किया जाता है तो एसआईआर में उनके नाम मतदाता सूची में शामिल नहीं हो पाएंगे।
इस तरह वर्षों से वे जिस अधिकार का प्रयोग कर रहें थे उससे वंचित हो जाएंगे। इसके पक्ष में फारेनर्स एक्ट में 2019 में किए गए संशोधन का हवाला दिया गया था। इसके मुताबिक बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से धार्मिक आधार पर विताड़ित हो कर भारत आने वाले हिंदुओं, सिखों, इसाइयों और पार्सियोंं के खिलाफ कोई मुकदमा कायम नहीं किया जा सकता है। उन्हें भारत की नागरिकता दी जाएगी। इसी सिलसिले में ये आवेदन किए गए हैं।
एडवोकेट सुप्रतीक राय ने बताया कि इस तरह के लोगों को पहले कलेक्टर के पास आवेदन करना पड़ता है और 90 दिनों के अंदर इसे गृह मंत्रालय को भेजना पड़ता है। पहले पहर की सुनवायी में एडिशनल सालिसिटर जनरल ने कहा कि उनकी गृह मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव से बात हुई है और उन्होंने कहा है कि इस पीटिशन के साथ जिन लोगों का ब्यौरा दिया गया है उनके आवेदन पर दस दिनों में फैसला लिया जा सकता है। इसके बाद सुनवायी टल गई और लंच बाद जब सुनवायी शु्रू हुई तो डिविजन बेंच ने उपरोक्त दलील देते हुए इसे खारिज कर दिया। एडवोकेट श्रीवास्तव ने कहा कि वे सुप्रीम कोर्ट जाएंगे।