

कोलकाता : कोलकाता एयरपोर्ट ने पिछले एक वर्ष में अपनी सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की है। वैश्विक एयरपोर्ट सर्विस क्वॉलिटी (ASQ) रैंकिंग में यह पिछली तिमाही के 59वें स्थान से फिसलकर जुलाई–सितंबर चक्र में 70वें स्थान पर पहुंच गया। एक ही वर्ष में यह एयरपोर्ट का सबसे खराब प्रदर्शन है, जबकि 2025 की शुरुआत इसने अपने अब तक के सर्वश्रेष्ठ 57वें स्थान (जनवरी–मार्च तिमाही) से की थी।
यह गिरावट दुर्गा पूजा के दौरान यात्रियों की भारी भीड़ के साथ मेल खाती है, जब पंचमी से दशमी के बीच एयरपोर्ट ने 3,60,000 यात्रियों को संभाला, जो त्योहारों के दिनों में दर्ज तीसरा सबसे बड़ा आंकड़ा है। सितंबर के अंत तक भी यात्री संख्या लगातार अधिक रही, जिससे टर्मिनल संचालन, भीड़ प्रबंधन और महत्वपूर्ण बिंदुओं पर सेवा प्रदान करने में दबाव बढ़ा।
यात्रियों को हुई असुविधा को मुख्य कारण बताया
अधिकारियों ने इस गिरावट के पीछे भीड़ के कारण यात्रियों को हुई असुविधा को मुख्य कारण बताया। एयरपोर्ट अधिकारी ने कहा, “टर्मिनल के अंदर कई इंफ्रास्ट्रक्चर अपग्रेड चल रहे हैं। इसके कारण कुछ क्षेत्रों को बैरिकेड किया गया है, जिससे यात्रियों को असुविधा हुई होगी। साथ ही मेट्रो निर्माण कार्य के कारण टर्मिनल तक सुचारू पहुंच भी प्रभावित हो रही है लेकिन यह सब अस्थायी है।
हम नकारात्मक फीडबैक पर काम कर रहे हैं।” एएसक्यू सर्वे एयरपोर्ट्स काउंसिल इंटरनेशनल (ACI) द्वारा किया जाता है, जिसमें 31 सेवा मानकों पर पांच-बिंदु पैमाने पर ग्राहक संतुष्टि आंकी जाती है। कोलकाता एयरपोर्ट का नवीनतम स्कोर 4.88 रहा जो पिछली तिमाही के 4.93 से थोड़ा कम है लेकिन 31 में से 27 क्षेत्रों में नकारात्मक फीडबैक बढ़ा है। वैश्विक औसत स्कोर 4.34 है।
कुल 16 AAI-प्रबंधित एयरपोर्ट्स ने इस तिमाही सर्वे में भाग लिया
कोलकाता एयरपोर्ट की रैंकिंग में भारी गिरावट आई और यह पुणे, गोवा, वाराणसी, इंदौर, चेन्नई और देहरादून जैसे हवाई अड्डों से भी पीछे रह गया। अधिकारियों के अनुसार, केवल त्रिची और पोर्ट ब्लेयर ही सरकार द्वारा निर्धारित 2019-20 के 4.68 के ASQ लक्ष्य को हासिल नहीं कर पाए।
अन्य सभी एयरपोर्ट्स ने इस मानक को पार कर लिया। कोलकाता एयरपोर्ट को स्वच्छता और वॉशरूम उपलब्धता के लिए सकारात्मक रेटिंग मिली जो पहले इसकी कमजोरियां रही हैं और पिछले एक वर्ष में जिनमें लगातार सुधार और निगरानी की गई है।
इन प्रमुख मुद्दों की शिकायत थी
● सर्वे में शामिल यात्रियों की लंबी इमिग्रेशन कतारें
● एयरपोर्ट तक पहुँचने में देरी
● टर्मिनल के अंदर कठिन पैदल दूरी
● उड़ानों के बीच कनेक्शन में परेशानी
● खराब वाई-फाई
● दुकानों पर कम “वैल्यू फॉर मनी”
● वास्तविक समय की उड़ान जानकारी की कमी