

नेहा, सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : पटाखा थोक और खुदरा विक्रेताओं का मानना है कि सरकार, नगर निगम और पुलिस को शहर के विभिन्न पार्कों में कम से कम 10 और बाजी बाजार (पटाखा मेले) लगाने को प्रोत्साहित करना चाहिए, ताकि मुहल्लों में अवैध पटाखों की बिक्री पर रोक लगाई जा सके। बड़ाबाजार फायरवर्क्स डीलर्स एसोसिएशन (BFDA) के पदाधिकारियों ने बताया कि फिलहाल कोलकाता में सिर्फ चार बाजी बाजार लगते हैं, जो इतने बड़े शहर के लिए बिल्कुल नाकाफी हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि 15-20 अधिकृत दुकानों वाले छोटे-छोटे बाजी बाजार लगाए जाएं, जहां केवल कानूनी ‘ग्रीन क्रैकर्स’ बेचे जाएं।
अधिकारी ने यह कहा
BFDA के संयुक्त सचिव ध्रुव नरूला ने कहा कि हम कई वर्षों से मैदान में बाजी बाजार आयोजित कर रहे हैं। हाल के वर्षों में उत्तर कोलकाता के टाला, दक्षिण-पश्चिम के बेहाला और दक्षिण-पूर्व के कालिकापुर में तीन और बाजार शुरू हुए हैं। इस साल बागबाजार में केवल महिलाओं द्वारा संचालित एक बाजार शुरू करने की कोशिश की गई थी, लेकिन प्रक्रियागत कारणों से यह संभव नहीं हो सका। हम अगले साल फिर कोशिश करेंगे। लेकिन कोलकाता में कम से कम 10 और मेले लगाने की गुंजाइश है। संभावित इलाकों में पार्क सर्कस, विवेकानंद पार्क, लेक टाउन, साल्ट लेक, न्यू टाउन और दमदम जैसे स्थान शामिल हैं। BFDA के उपाध्यक्ष सुशील गोलचा ने कहा कि हम चाहते हैं कि कोलकाता नगर निगम और कोलकाता पुलिस संभावित स्थानों की पहचान कर ऐसे मेले आयोजित करने में मदद करें। इससे आस-पास के लोग अधिकृत दुकानों से असली ग्रीन पटाखे खरीद सकेंगे।
यह हैं आकड़ा
मैदान में मेले का आयोजन इस बार चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा है क्योंकि मैदान का किराया पिछले साल के मुकाबले 40% बढ़ गया है। इस साल 39 में से हर स्टॉल को करीब 25,000 रुपये किराए के रूप में देने पड़े। BFDA के कोषाध्यक्ष शांतनु दत्ता ने कहा, “व्यवसाय की व्यवहार्यता अब चुनौती बन गई है। पिछले साल मैदान में स्टॉल लगाने वाले सभी खुदरा विक्रेताओं को घाटा हुआ था। 2023 में बिक्री अच्छी रही थी, लेकिन वह तीन साल के कोविड प्रतिबंधों के बाद था। इस साल माहौल सकारात्मक है, लेकिन अगर बिक्री उम्मीद के मुताबिक नहीं हुई, तो अगले साल मैदान में मेला लगाना मुश्किल होगा।”