

नई दिल्ली : भारत में इजराइली कंपनियों के लिए निवेश के काफी अवसर हैं। दोनों देशों के उद्योग बुनियादी ढांचे के विकास, विनिर्माण और कृत्रिम मेधा (AI) जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ा सकते हैं। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि दोनों देशों के बीच सहयोग के अन्य क्षेत्रों में वित्तीय प्रौद्योगिकी, कृषि प्रौद्योगिकी, मशीन लर्निंग, क्वांटम कंप्यूटिंग, औषधि, अंतरिक्ष और रक्षा शामिल हैं। यह पहली बार है जब कोई भारतीय वाणिज्य मंत्री इजराइल की यात्रा कर रहा है।
असीमित संभावनाएं और क्षमताएं
उन्होंने इजराइल के आर्थिक मामलों के मंत्री नीर बरकत के साथ भारत-इजराइल व्यापार शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, ‘दोनों देशों के बीच असीमित संभावनाएं और क्षमताएं हैं।’ इजराइल को भारत का निर्यात 2024-25 में 52 प्रतिशत घटकर 2.14 अरब डॉलर रहा, जो एक साल पहले 4.52 अरब डॉलर था। आयात भी 26.2 प्रतिशत घटकर 1.48 अरब अमेरिकी डॉलर रह गया। भारत को इजराइल से अप्रैल, 2000 और जून, 2025 के दौरान 33.78 करोड़ डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश प्राप्त हुआ।
आकर्षक निवेश गंतव्य
गोयल ने कहा कि कई ऐसी चीजें हैं जो भारत को एक आकर्षक निवेश गंतव्य बनाते हैं। इनमें लोकतंत्र, जनसंख्या संबंधी लाभांश, डिजिटलीकरण, तेज गति विकास और निर्णायक नेतृत्व शामिल हैं। भारत व्यापार के लिए एक भरोसेमंद माहौल प्रदान करता है। बरकत ने कहा कि भारतीय बुनियादी ढांचा कंपनियां यहां आकर बोली लगा सकती हैं।
भारत-पश्चिम एशिया यूरोप आर्थिक गलियारा भी सहयोग बढ़ाने का एक अवसर प्रदान करता है। इसका उद्देश्य सऊदी अरब, भारत, अमेरिका और यूरोप के बीच एक विशाल सड़क, रेलमार्ग और पोत परिवहन नेटवर्क स्थापित करना है ताकि एशिया, पश्चिम एशिया और पश्चिम के बीच एकीकरण सुनिश्चित हो सके। सितंबर, 2023 में दिल्ली में जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान आईएमईसी पहल को अंतिम रूप दिया गया था।