नई दिल्ली: मेक्सिको के कई उत्पादों पर एकतरफा तरीके से शुल्क बढ़ाने के फैसले को लेकर भारत उसके साथ संपर्क में है, ताकि पारस्परिक रूप से लाभकारी समाधान निकाला जा सके। एक अधिकारी ने शनिवार को यह जानकारी दी। साथ ही, नयी दिल्ली ने अपने निर्यातकों के हितों की रक्षा के लिए उचित कदम उठाने का अधिकार सुरक्षित रखा है। इन शुल्क की घोषणा उन देशों के खिलाफ की गई है, जिनका मेक्सिको के साथ मुक्त व्यापार समझौता नहीं है। इनमें भारत, चीन, दक्षिण कोरिया, थाईलैंड और इंडोनेशिया शामिल हैं।
भारत ने मेक्सिको के आर्थिक मंत्रालय के समक्ष मुद्दा उठाया
अधिकारी ने कहा कि इस संबंध में विधेयक पेश किए जाने के शुरुआती चरण से ही भारत मेक्सिको के साथ संवाद में था। मेक्सिको स्थित भारतीय दूतावास ने 30 सितंबर 2025 को मेक्सिको के आर्थिक मंत्रालय के सामने यह मुद्दा उठाया था और भारतीय निर्यात को नए शुल्कों से बचाने के लिए विशेष रियायतों की मांग की थी।
अधिकारी ने कहा, ''भारत मेक्सिको के साथ अपनी साझेदारी को महत्व देता है और दोनों देशों के व्यवसायों और उपभोक्ताओं को लाभ पहुंचाने वाले स्थिर एवं संतुलित व्यापारिक माहौल की दिशा में सहयोग के लिए पूरी तरह तैयार है।'' इसके अलावा, दोनों देश मुक्त व्यापार समझौते पर बातचीत शुरू करने पर भी विचार कर रहे हैं और औपचारिक वार्ता शुरू करने के लिए संदर्भ शर्तों (टीओआर) को जल्द अंतिम रूप दिए जाने की उम्मीद है।
अमेरिका के दबाव में लगाए गए है शुल्क
विशेषज्ञों का कहना है कि यह व्यापार समझौता भारतीय कंपनियों को इन शुल्कों से बचाने में मदद करेगा। ये शुल्क अमेरिका के दबाव में लगाए गए हैं, ताकि चीन के खिलाफ शुल्क बढ़ाने के मामले में अमेरिका के साथ तालमेल किया जा सके। मेक्सिको की सीनेट ने 11 दिसंबर 2025 को नए शुल्क उपाय को मंजूरी दी थी, जिसे बाद में संसद के दोनों सदनों से भी स्वीकृति मिल गई। इसका उद्देश्य विनिर्माण को बढ़ावा देना और व्यापार असंतुलन को कम करना है।