

जोहानिसबर्ग : अफ्रीका में आयोजित पहला जी20 शिखर सम्मेलन दुनिया के सबसे गरीब देशों को प्रभावित करने वाली लंबे समय से जारी कुछ समस्याओं के समाधान की दिशा में आगे बढ़ने के महत्वाकांक्षी एजेंडा के साथ शनिवार को शुरू हुआ। दुनिया की सबसे समृद्ध एवं प्रमुख उभरती अर्थव्यवस्थाओं के नेता और शीर्ष सरकारी अधिकारी दक्षिण अफ्रीका के प्रसिद्ध सोवेटो कस्बे के पास स्थित एक प्रदर्शनी केंद्र में एकत्र हुए, ताकि वे मेजबान देश द्वारा निर्धारित प्राथमिकताओं को लेकर किसी सहमति पर पहुंचने की कोशिश कर सकें।
इन प्राथमिकताओं में बढ़ती वैश्विक असमानता को कम करने के उपायों के तहत जलवायु-संबंधी आपदाओं से उबरने के लिए गरीब देशों को अधिक सहायता देना, उनके विदेशी ऋण बोझ को कम करना, हरित ऊर्जा स्रोतों को अपनाना और अपने महत्वपूर्ण खनिज संसाधनों का उपयोग करना शामिल है। समूह के लिए दक्षिण अफ्रीका की कई प्राथमिकताओं, विशेषकर जलवायु परिवर्तन एवं विकासशील देशों पर इसके प्रभाव पर ध्यान केंद्रित करने को अमेरिका से प्रतिरोध का सामना करना पड़ा है।
मोदी का हुआ भव्य स्वागत
G20 लीडर्स समिट के लिए साउथ अफ्रीका पहुंचने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गर्मजोशी से स्वागत हुआ। एयरपोर्ट पर एक कल्चरल ग्रुप ने परफॉर्म किया और उनके सदस्यों ने सम्मान में उन्हें झुककर सलाम किया। यह PM मोदी का साउथ अफ्रीका का चौथा ऑफिशियल दौरा है। इससे पहले वे 2018 और 2023 में BRICS समिट के लिए और उससे पहले 2016 में बाइलेटरल विज़िट के लिए देश आए थे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी G-20 समिट के दौरान इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी से बातचीत करते हुए नज़र आएं। उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीज़ के साथ भी द्विपक्षीय बैठक की। दोनों नेताओं ने सहयोग के प्रमुख क्षेत्रों और अपने देशों के बीच चल रहे विकास पर चर्चा की।
अमेरिका ने इस सम्मेलन का बहिष्कार किया है
इस दो दिवसीय शिखर सम्मेलन में दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अमेरिका भाग नहीं ले रही। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यह दावा करते हुए शिखर सम्मेलन का बहिष्कार किया है कि दक्षिण अफ्रीका नस्लवादी ‘श्वेत रोधी’ नीतियां अपना रहा है और अपने यहां के श्वेत अल्पसंख्यकों का उत्पीड़न कर रहा है। जी20 वास्तव में 21 सदस्यों का समूह है, जिसमें 19 देश, यूरोपीय संघ और अफ्रीकी संघ शामिल हैं।
दक्षिण अफ्रीका ने कहा कि अमेरिका उस पर दबाव डाल रहा है कि वह अमेरिका की अनुपस्थिति में नेताओं का कोई घोषणापत्र जारी न करे तथा इसके स्थान पर मेजबान देश की ओर से एकतरफा बयान के रूप में अंतिम दस्तावेज जारी करे। दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, ‘‘हम किसी दबाव में नहीं आएंगे।’’ उन्होंने रविवार को शिखर सम्मेलन के समापन पर उपस्थित सभी सदस्यों से एक घोषणापत्र जारी करने का वादा किया।
अगले वर्ष अध्यक्षता अमेरिका को मिलेगी
दक्षिण अफ्रीका के बाद समूह की अध्यक्षता अमेरिका को सौंपी जानी है। अमेरिका के राष्ट्रपति के आधिकारिक आवास एवं कार्यालय ‘व्हाइट हाउस’ ने कहा कि इस शिखर सम्मेलन में अमेरिका की एकमात्र भूमिका तब होगी जब दक्षिण अफ्रीका स्थित अमेरिकी दूतावास का कोई प्रतिनिधि सम्मेलन के अंत में जी20 की अध्यक्षता स्वीकार करने के लिए औपचारिक हस्तांतरण समारोह में शामिल होगा।
दक्षिण अफ्रीका ने कहा कि किसी ‘‘कनिष्ठ राजनयिक अधिकारी’’ को अध्यक्षता की जिम्मेदारी सौंपना रामाफोसा के लिए अपमान की बात है। दक्षिण अफ्रीकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता क्रिसपिन फिरी ने ‘एसोसिएटेड प्रेस’ से कहा, ‘हमने अमेरिका सरकार को सूचित कर दिया है कि राष्ट्रपति दूतावास के किसी कनिष्ठ अधिकारी को यह जिम्मेदारी हस्तांतरित नहीं करेंगे।’