

नई दिल्ली - भारत में कई मंदिर अपनी अनोखी परंपराओं और चमत्कारी मान्यताओं के कारण श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र बने हुए हैं। ऐसा ही एक अनूठा मंदिर है गिरजाबंध हनुमान मंदिर, जो छत्तीसगढ़ के बिलासपुर से करीब 25 किलोमीटर दूर स्थित है।
इस मंदिर की सबसे खास विशेषता यह है कि यह दुनिया का एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां हनुमान जी की पूजा स्त्री रूप में की जाती है। यहां उन्हें पारंपरिक चोला चढ़ाने के बजाय सोलह श्रृंगार अर्पित किया जाता है। आइए जानते हैं कि इस अद्वितीय मंदिर में हनुमान जी को स्त्री रूप में पूजने की परंपरा कैसे शुरू हुई और इसके पीछे की धार्मिक मान्यता क्या है।
मंदिर से जुड़ी हुई हैं कई मान्यताएं
मान्यताओं के अनुसार, हनुमान जी की प्रतिमा स्वयं प्रकट हुई थी, और ऐसा माना जाता है कि वे प्रतिदिन द्वारिकापुरी से इस मंदिर में आते हैं। यह मंदिर न केवल भारत से बल्कि विदेशों से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। भक्तों का दृढ़ विश्वास है कि जो भी व्यक्ति सच्चे मन से हनुमान जी से प्रार्थना करता है, उसकी इच्छा अवश्य पूर्ण होती है।
कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण देवजू नामक राजा ने कराया था, जो हनुमान जी के परम भक्त थे लेकिन कुष्ठ रोग से पीड़ित थे। उन्होंने कई वर्षों तक रतनपुर पर शासन किया, और इसी दौरान हनुमान जी ने स्वप्न में आकर उन्हें मंदिर बनाने का आदेश दिया। राजा ने जब हनुमान जी की मूर्ति प्राप्त करने के लिए महामाया कुंड में खुदाई करवाई, तो वहां से एक स्त्री स्वरूप की हनुमान प्रतिमा प्रकट हुई। इस अद्भुत मूर्ति को राजा ने विधि-विधान से मंदिर में स्थापित कराया।
यह है वजह
मान्यता है कि मूर्ति की स्थापना के बाद राजा कुछ ही दिनों में कुष्ठ रोग से पूरी तरह मुक्त हो गए। तभी से इस मंदिर में हनुमान जी की पूजा स्त्री स्वरूप में की जाने लगी, और उनकी आराधना के रूप में सोलह श्रृंगार करने की परंपरा शुरू हो गई।