कोहली ने वृन्दावन में संत प्रेमानंदजी के दर्शन किये, पत्नी अनुष्का भी थी साथ

संत प्रेमानंद के भी गुरू गौरांगी शरण महाराज के भी दर्शन किए
Virat Anuska
महाराज जी से आशीष लेते विराट-अनुष्का-
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मथुरा : टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेने की घोषणा करने के एक दिन बाद भारत के स्टार क्रिकेटर विराट कोहली अपनी अभिनेत्री पत्नी अनुष्का शर्मा के साथ अध्यात्मिक गुरू प्रेमानंद गोविंद शरण जी महाराज के दर्शन करने वृंदावन पहुंचे। वे आश्रम में करीब साढे तीन घंटे रुकने बाद लगभग पौने दस बजे वापस हो गए। एक्स पर साझा किये गए वीडियो में विराट और अनुष्का को संत से आशीर्वाद लेते देखा जा सकता है। सूत्रों ने बताया कि उन्होंने संत प्रेमानंद से भेंट करने के बाद आश्रम का भ्रमण कर वहां संचालित प्रकल्पों के बारें में भी जानकारी हासिल की। उन्होंने लौटने से पूर्व वाराह घाट पर कुछ ही दूर स्थित संत प्रेमानंद के भी गुरू गौरांगी शरण महाराज के भी दर्शन किए। इससे पूर्व वह इसी वर्ष 10 जनवरी को और दो साल पहले (2023 में) चार जनवरी को भी आश्रम में उनसे आशीर्वाद प्राप्त करने आ चुके हैं। सूत्रों ने बताया कि उन्होंने संत प्रेमानंद से भेंट करने के बाद आश्रम का भ्रमण कर वहां संचालित प्रकल्पों के बारें में भी जानकारी हासिल की। उन्होंने लौटने से पूर्व वाराह घाट पर कुछ ही दूर स्थित संत प्रेमानंद के भी गुरू गौरांगी शरण महाराज के भी दर्शन किए।

क्या हुई बातचीत : विराट और अनुष्का के आश्रम पहुंचते ही संत प्रेमानंद महाराज ने पूछा प्रसन्न हो ? विराट के हां जवाब देने के बाद महाराज ने कहा कि हम अपने प्रभु का विधान बताते हैं। जब प्रभु किसी पर कृपा करते हैं, ये वैभव मिलना कृपा नहीं है। ये पुण्य है। ये वैभव बढ़ना, यश बढ़ना भगवान की कृपा नहीं मानी जाती है। भगवान की कृपा मानी जाती है अंदर का चिंतन बदलना। जिससे आपके अनंत जन्मों के संस्कार भष्म होकर, अगला जो होगा, वो उत्तम होगा। संत प्रेमानंद महाराज ने समझाया कि अंदर का चिंतन बन गया बह्यमुखी यानि बाहर। बाहर यश, कीर्ति, लाभ और विजय से सुख मिलता है। भगवान जब कृपा करते हैं, तो संत समागम देते हैं। दूसरी जब कृपा होती है, तो विपरीतिता देते हैं। फिर अंदर से एक रास्ता देते हैं कि ये मेरा रास्ता है। ये परम शांति का रास्ता है। भगवान वो रास्ता देते हैं और जीव को अपने पास बुला लेते हैं।

बिना प्रतिकूलता के संसार का राग नष्ट नहीं होता

संत प्रेमानंद महाराज ने आगे कहा कि बिना प्रतिकूलता के संसार का राग नष्ट नहीं होता है। किसी को भी वैराग्य होता है, तो संसार की प्रतिकूलता देखकर होता है। सबकुछ हमारे अनुकूल है, तो हम आनंदित होकर उसका भोग करते हैं। जब हमारे अंदर प्रतिकूलता आती है, तब सोचते हैं कि इतना झूठा संसार है। तो अंदर से भगवान रास्ता देते हैं। कि ये सही है। भगवान बिना प्रतिकूलता के इस संसार को छुड़ाने का कोई अवसर नहीं देते हैं। आज तक जितने महान संत हुए हैं और उनका जीवन बदला है, तो प्रतिकूलता का दर्शन कर बदला है।

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